कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के अपने सदस्यों और नियोक्ताओं के लिए उस प्रक्रिया को सार्वजनिक कर दिया है, जिसके तहत कर्मियों को ज्यादा पेंशन मिल सकती है। सोमवार को जारी सर्कुलर में ईपीएफओ ने कहा है कि इस संयुक्त विकल्प का तीन तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। पहला, ऐसे कर्मचारी व नियोक्ता जो वर्तमान वेतन सीमा 5000 या 6500 से अधिक वेतन के आधार पर योगदान करते हैं।
दूसरा, ऐसे लोग जो ईपीएस-95 के सदस्य थे लेकिन जिन्होंने पुरानी योजना (संशोधन से पहले, अब खत्म हो चुकी) के पैरा 11(3) की शर्त के तहत संयुक्त विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया था। तीसरा, ऐसे सदस्य जो 1 सितंबर 2014 से पहले योजना के सदस्य थे और इस तिथि के बाद भी सदस्य बने रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2022 में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को वैध करार दिया था। 22 अगस्त, 2022 को ईपीएस में किए गए संशोधन में पेंशन योग्य वेतन की सीमा 6500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 15, 000 रुपये कर दिया गया था। इसमें यह छूट दी गई कि यदि वेतन इस सीमा से अधिक हो तो वे वास्तविक वेतन का 8.33% ईपीएस में योगदान कर सकते हैं। शीर्ष कोर्ट ने संशोधित योजना नहीं चुनने वाले कर्मचारियों को इसे चुनने के लिए चार माह का समय दिया था।
ऑनलाइन चुन पाएंगे संयुक्त विकल्प
ईपीएफओ ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर कर्मचारी और उनके नियोक्ता ज्यादा पेंशन के लिए संयुक्त विकल्प चुन सकते हैं। इसके लिए उन कर्मचारियों के लिए एक ऑनलाइन सुविधा जल्द शुरू होगी जो एक सितंबर 2014 या उससे पहले ईपीएफओ के सदस्य बने थे। इस सुविधा के शुरू होने की जानकारी क्षेत्रीय पीएफ आयुक्त अपने नोटिस बोर्डों और बैनरों के जरिये प्रचारित करेंगे।
ज्यादा वेतन के आधार पर योगदान कर रहे कर्मियों को देना होगा आवेदन
पहले से ही ज्यादा वेतन के आधार पर योगदान कर रहे लेकिन औपचारिक रूप से संयुक्त विकल्प नहीं चुनने वाले कर्मचारियों को क्षेत्रीय ईपीएफओ ऑफिसों में इस बारे में एक आवेदन देना होगा। भविष्य निधि से पेंशन निधि में पैसे के बंटवारे या निधि को फिर से जमा करने से संबंधित कोई भी काम करवाने के लिए कर्मचारियों को विशेष सहमति संयुक्त विकल्प फार्म में देनी होगी।
ईपीएफओ से दिसंबर में 14.9 लाख सदस्य जुड़े
नई दिल्ली कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से दिसंबर में 14.93 लाख सदस्य जुड़े हैं। एक साल पहले की तुलना में यह दो फीसदी ज्यादा है। इसमें 8.02 लाख सदस्य सामाजिक सुरक्षा के दायरे में पहली बार आए हैं।