सोलन की मेयर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उषा शर्मा को शेष कार्यकाल के लिए उनके पद पर बहाल कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया को राजनीतिक गुंडागर्दी का मामला करार दिया है। कोर्ट ने पहले उनके निष्कासन को पुरुष पक्षपात का मामला करार दिया गया था। पीठ ने कहा 20 अगस्त का अंतरिम आदेश पूर्णत लागू माना जाएगा।
सोलन: (HD News); उच्चतम न्यायालय ने सोलन की महापौर उषा शर्मा को शेष कार्यकाल के लिए सोमवार को उनके पद पर बहाल कर दिया और उनकी अयोग्यता को ‘‘राजनीतिक गुंडागर्दी’’ का मामला करार दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 20 अगस्त, 2024 के अपने आदेश को पूर्ण घोषित कर दिया, जिसमें सोलन की महापौर की अयोग्यता पर रोक लगा दी गई थी, तथा उनके निष्कासन को ‘पुरुष पक्षपात का मामला’ करार दिया गया था। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘20 अगस्त, 2024 का अंतरिम आदेश पूर्णतः लागू माना जाएगा। आदेश में किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने पर परिणाम भुगतने होंगे।’’

प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने जब हस्तक्षेप करने का प्रयास किया तो पीठ ने कहा कि वह फिलहाल आदेश में कोई कड़ी टिप्पणी नहीं करना चाहती, क्योंकि यह ‘राजनीतिक गुंडागर्दी’ का मामला है। शर्मा के वकील ने कहा कि उनका कार्यकाल अगले वर्ष पूरा हो जाएगा और उन्होंने अदालत से पिछले वर्ष के अंतरिम आदेश को निरपेक्ष बनाने का आग्रह किया।
पिछले साल 20 अगस्त को शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के जून 2024 के आदेश के खिलाफ शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर की याचिका पर नोटिस जारी किया था। उच्चतम न्यायालय ने उनकी अयोग्यता को बरकरार रखते हुए हिमाचल प्रदेश के सोलन के महापौर पद के लिए नए चुनाव को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने क्रमशः नगर निकाय की वार्ड संख्या 12 और 8 की पार्षद शर्मा और ग्रोवर को अयोग्य ठहराने वाली 10 जून, 2024 की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए तर्क की भी आलोचना की थी।
शर्मा और ग्रोवर दोनों को सरकार ने सात दिसंबर, 2023 को महापौर और उप महापौर के चुनाव के दौरान पार्टी के निर्देशों की अवहेलना करने के लिए हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1994 के प्रावधानों के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था।
कोर्ट ने दी चेतावनी
आदेश में किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने पर परिणाम भुगतने होंगे।' प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने जब हस्तक्षेप करने का प्रयास किया तो पीठ ने कहा कि वह फिलहाल आदेश में कोई कड़ी टिप्पणी नहीं करना चाहती, क्योंकि यह 'राजनीतिक गुंडागर्दी' का मामला है।
