शिमला: (HD News); भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से देशविरोधी गतिविधि का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक युवक ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर पाकिस्तान का झंडा लगाकर सोशल मीडिया पर सनसनी फैला दी। आरोपी युवक शिमला में गैस एजेंसी में काम करता है और मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला है। जबकि दूसरा मामला फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने का है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इन दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी गई है।
देश जब अपने पड़ोसी देशों के साथ संवेदनशील रिश्तों के दौर से गुजर रहा हो, तब राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की एक चिंगारी भी जनभावनाओं में आग लगा सकती है। हिमाचल प्रदेश की शांत वादियों से आई दो घटनाएं - एक युवक द्वारा वॉट्सऐप डीपी में पाकिस्तान का झंडा लगाना और दूसरा युवक द्वारा फेसबुक पर देशविरोधी पोस्ट साझा करना - न केवल कानूनी दृष्टिकोण से गंभीर हैं, बल्कि यह हमारे समाज की डिजिटल सतर्कता पर भी सवाल उठाता हैं।

पहली नजर में ये गतिविधियां ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति’ का भ्रम पैदा कर सकती हैं, परंतु जब यह स्वतंत्रता देश की अखंडता, संप्रभुता और सामाजिक सौहार्द के विरुद्ध जाए, तब यह अपराध बन जाती है। खासकर जब ऐसे कार्य ऐसे समय सामने आएं जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थितियां हों, तब इनका प्रभाव और अधिक घातक हो सकता है।
सवाल यह है कि सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा हमारे समाज में क्या बो रहा है? क्या हमारी डिजिटल पीढ़ी को यह समझ है कि एक क्लिक से फैलने वाली सामग्री देश की छवि, सुरक्षा और कानून व्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकती है? यह घटनाएं सिर्फ दो युवकों की गलती नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी हैं।

हमें यह स्वीकारना होगा कि सोशल मीडिया की स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है। यह जिम्मेदारी सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय है। प्रशासन ने इन मामलों में तत्परता दिखाई, साइबर सेल सक्रिय हुआ, एफआईआर दर्ज की गई – यह सकारात्मक संकेत हैं। लेकिन यह कार्रवाई तब तक प्रभावी नहीं मानी जा सकती जब तक समाज खुद अपने भीतर से सतर्क न हो।
अब समय है कि स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक मंचों पर साइबर जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए। अभिव्यक्ति की आज़ादी की परिभाषा के साथ देशभक्ति और संवेदनशीलता की शिक्षा दी जाए। सोशल मीडिया पर देशविरोध की हर चिंगारी को बुझाना केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
