शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में शनिवार को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल का उद्देश्य भूकंप जैसी आपदा के दौरान राहत व बचाव कार्यों की तैयारियों का मूल्यांकन करना था।
ड्रिल के परिदृश्य के अनुसार, न्यायालय परिसर में अचानक भूकंप की सूचना मिली। स्थिति के अनुसार, करीब 300 लोग न्यायालय के सभागार में "फंस" गए जबकि लगभग 800 लोग पूरे न्यायालय परिसर में प्रभावित हुए। मॉक ड्रिल में पाँच लोगों के घायल होने का "कृत्रिम" आकलन भी किया गया।

इस दौरान राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की 30 सदस्यीय टीम, एसडीआरएफ के 10 जवान, अग्निशमन विभाग के 6 कर्मी और स्वास्थ्य विभाग के 4 कर्मचारी तत्परता से मौजूद रहे। साथ ही दो एम्बुलेंस को भी मुस्तैदी से तैनात किया गया था।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (कानून एवं व्यवस्था) पंकज शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया, "जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर ऐसे अभ्यास कराए जाते हैं ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके और जन-धन की हानि को न्यूनतम किया जा सके।" उन्होंने आम नागरिकों से भी अपील की कि वे आपदा के समय संयम बनाए रखें और प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
यह मॉक ड्रिल न केवल अधिकारियों की तत्परता का प्रदर्शन थी, बल्कि आम लोगों को भी आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम रही।