जिला सोलन की तहसील अर्की का गांव लड़ोग पिछले छह साल से एक बंद पड़ी पुलिया की कीमत चुका रहा है — अपनी फसलों, घरों, मवेशियों और बुजुर्गों की तकलीफों से। हर बरसात में खेत बह जाते हैं, पानी घरों में घुस जाता है, और प्रशासन? वो फ़ाइलों में झूठी रिपोर्टों के नीचे दफन है। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक को गुमराह किया गया, अधिकारियों से लेकर इंजीनियरों तक को शिकायत दी गई — लेकिन सबने आंखें मूंद लीं। अब ग्रामीणों का सब्र टूट चुका है।
सोलन/अर्की (हिमाचल प्रदेश) – ग्राम पंचायत कुहर के गांव लड़ोग में स्थित एक पुलिया बीते 6 वर्षों से बंद पड़ी है, जो अब ग्रामीणों के लिए एक भारी संकट बन चुकी है। शिमला-शीलाघाट मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित यह पुलिया बरसात के मौसम में गांव में खेतों की तबाही का कारण बन जाती है, मगर विभाग और प्रशासन आंखें मूंदे बैठे हैं।
24 मई 2025 को हुई बारिश ने एक बार फिर ग्रामीणों की फसलें, घर और मवेशियों को निशाना बनाया। तेज राम, धर्म ठाकुर, रामलाल, गोपाल सहित 13 घरों के लोग इस त्रासदी से प्रभावित हुए हैं। तेज राम का खेत, जिसमें बीज बोया गया था, पूरी तरह बर्बाद हो गया। पानी शौचालय, गौशाला और यहां तक कि बीमार वृद्धाओं के कमरों तक घुस गया।

क्या विकास सिर्फ नारों में ज़िंदा है? जब गांव की रसोई तक घुस जाए बरसाती पानी, तो जिम्मेदार कौन?
वर्ष 2021 में ग्रामीणों ने XEN और SDM से मिलकर पुलिया खोलने की मांग की थी। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी कई बार शिकायत की गई, लेकिन हर बार झूठी रिपोर्ट बनाकर फाइलें बंद कर दी गईं। ग्रामीणों का आरोप है कि चुनावों में इसी पुलिया के नाम पर वोट मांगे गए लेकिन काम कुछ नहीं हुआ।
"हम थक चुके हैं, अब यदि प्रशासन नहीं जागा तो मजबूरी में हम अपनी जमीन से दी गई रोड को बंद कर देंगे, " – यह कहना है गांव के लोगों का।
प्रशासन की उदासीनता का खामियाजा गांव के लोग हर साल भुगत रहे हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है? अब समय आ गया है कि नींद में डूबे विभाग को जगाया जाए और ग्रामीणों को उनका हक दिलाया जाए।

"गांव लड़ोग में नियमों को दरकिनार कर बनाई गई सड़क – न निकासी का इंतज़ाम, न चालू पुलिया! हर बारिश में पानी बनता है कहर, प्रशासन मौन !"
बता दें कि गांव लड़ोग की बंद पड़ी पुलिया अब सिर्फ एक निर्माण की समस्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक उपेक्षा का प्रतीक बन चुकी है। ग्रामीणों ने हर दरवाजा खटखटाया, शिकायतें कीं, नेताओं से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई – लेकिन छह साल बाद भी हालात जस के तस हैं। बरसात आते ही खेत बहते हैं, घर डूबते हैं और ज़िंदगी तबाही से जूझती है।
लड़ोग गांव के निवासी तेज राम ने सम्बंधित विभाग और प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर अब भी कोई बड़ा हादसा होता है, तो उसकी सीधी जिम्मेदारी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर होगी। जनता का सब्र टूट रहा है, और अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो ग्रामीणों का सड़कों को बंद करना, विरोध प्रदर्शन और आंदोलन पूरी तरह जायज होगा।
