हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के हाटकोटी क्षेत्र में सोमवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक चार मंजिला रिहायशी मकान में भीषण आग भड़क उठी। कुछ ही महीनों पहले तैयार हुआ यह सुंदर मकान देखते ही देखते जलकर राख हो गया। घटना ने न केवल लाखों के नुकसान की पीड़ा दी, बल्कि आग से सुरक्षा व फायर ब्रिगेड की तत्परता पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिमला: शिमला जिला के हाटकोटी क्षेत्र में सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे एक चार मंजिला रिहायशी मकान में भीषण आग लग गई। मकान से उठती आग की लपटों ने कुछ ही देर में पूरे भवन को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे लाखों रुपये की संपत्ति जलकर राख हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार, यह मकान रिटायर्ड अधिकारी सुंदर लाल का था, जिन्होंने महज चार से पांच महीने पहले ही इसका निर्माण कार्य पूरा करवाया था। आग सबसे पहले तीसरी मंजिल पर लगी और फिर तेजी से फैल गई। मकान में मौजूद 15 से अधिक कमरे पूरी तरह जलकर खाक हो गए हैं। गनीमत रही कि इस दर्दनाक हादसे में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है और न ही आग ने आसपास के घरों को अपनी चपेट में लिया।

फायर ब्रिगेड की देरी पर उठे सवाल
घटना की सूचना मिलते ही फायर विभाग की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश में जुट गई। हालांकि, स्थानीय लोगों ने दमकल विभाग पर देरी से पहुंचने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि आग लगने के करीब एक घंटे बाद दमकल वाहन पहुंचे, जबकि हाटकोटी से रोहड़ू की दूरी केवल 10–12 किलोमीटर है।
स्थानीय लोग भी आग बुझाने में फायर ब्रिगेड की मदद कर रहे हैं। आग लगने के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है और जांच जारी है।
इस भीषण अग्निकांड ने जहां एक परिवार की वर्षों की मेहनत और आशियाने को पल भर में राख कर दिया, वहीं फायर ब्रिगेड की देरी ने आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि राहत की बात यह रही कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। अब जरूरत है कि ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए स्थानीय प्रशासन और आपदा सेवा तंत्र को और अधिक सक्रिय और सक्षम बनाया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को टाला जा सके।