शिमला में आयोजित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में "एक राष्ट्र, एक चुनाव" विषय पर विचार-विमर्श करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि राष्ट्र और जनता जनार्दन ही लोकतंत्र की असली ताकत हैं। उन्होंने इस संवैधानिक पहल का समर्थन करते हुए इसके कानूनी और प्रशासनिक पक्षों पर भी सवाल उठाए। बैठक में कई सांसदों, राज्यों के प्रतिनिधियों और वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।
शिमला: (HD News); "राष्ट्र और जनता जनार्दन सर्वोपरि हैं" - यह उद्गार हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने शिमला के समीप होटल ड्यूसिट में आयोजित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक के दौरान व्यक्त किए। यह विशेष बैठक केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित "एक राष्ट्र, एक चुनाव" विषय पर आयोजित की गई थी, जिसमें पठानियां को विशेष आमंत्रण पर आमंत्रित किया गया था।
पठानियां ने अपने संबोधन में कहा कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव" की अवधारणा कोई नई नहीं है। संविधान में इसकी व्यवस्था पहले से मौजूद रही है, लेकिन समय-समय पर सरकारों के अल्पमत में आने और विश्वास मत खोने के कारण यह व्यवस्था विखंडित होती गई।
उन्होंने बताया कि अब केंद्र सरकार ने इस व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने हेतु संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर 41 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया है। यह समिति सभी राज्यों से फीडबैक लेकर अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करेगी।
विधानसभा अध्यक्ष की मुख्य टिप्पणियां:
जनता ही सर्वोच्च है: संविधान में भले ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के रूप में लोकतंत्र के स्तंभ निर्धारित हैं, लेकिन सर्वोच्च सत्ता जनता जनार्दन के पास ही है।
संशोधन पर चिंता: उन्होंने सवाल उठाया कि यदि विधानमंडलों का कार्यकाल एकरूपता लाने के लिए कम किया जाता है, तो यह क्या संविधान की मूल भावना के अनुरूप होगा?
संसद की शक्तियों पर अंकुश ? पठानियां ने यह भी कहा कि यह 129वां संशोधन कहीं न कहीं संसद की स्वायत्तता को सीमित करने का प्रयास प्रतीत होता है, जिस पर गंभीर मंथन की आवश्यकता है।
प्रशासनिक तैयारी अनिवार्य: एक राष्ट्र, एक चुनाव एक सराहनीय विचार है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सुदृढ़ और समन्वित प्रशासनिक तैयारी बेहद जरूरी है।
दल-बदल कानून पर भी रखी स्पष्ट राय
सांसद अनुराग ठाकुर के दल-बदल कानून पर सवाल के जवाब में पठानियां ने कहा कि यह कानून लोकतंत्र की रक्षा में सहायक है, और इसे और भी कठोर बनाया जाना चाहिए। उनका सुझाव था कि जो भी सदस्य दल-बदल करता है, उसे 6 वर्षों तक चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष का हुआ सम्मान
संयुक्त समिति के चेयरमैन पी.सी. चौधरी ने बैठक के अंत में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां को गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर समिति के अन्य सदस्यों ने भी संसदीय प्रणाली को लेकर कई प्रश्न पूछे जिनका अध्यक्ष ने क्रमबद्ध उत्तर दिया।
अन्य प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी:
इस बैठक में विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार और नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर भी मौजूद रहे, जिन्होंने पठानियां के विचारों से सहमति जताई। संयुक्त समिति अध्यक्ष पी.सी. चौधरी ने इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष को गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया।
संयुक्त समिति के सदस्यगण:
इस महत्वपूर्ण बैठक में कई दिग्गज सांसदों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख हैं:
अनुराग ठाकुर
बांसुरी स्वराज
डॉ. संजय जसवाल
सुखदेव भगत
छोटेलाल
कल्याण बनर्जी
टी.एम. सेवागणपति
शांभवी
चंदन चौहान
भुवनेश्वर कलिता
कविता पाटीदार
पी. विल्सन
विजय कुमार हंसदक
यह बैठक संवैधानिक, राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाली रही। एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर जिस तरह से राज्यों से व्यापक संवाद शुरू हुआ है, उससे इस व्यवस्था के भविष्य की दिशा तय होगी।