हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का गौरव कहे जाने वाला ऐतिहासिक रीज मैदान सोमवार सुबह एक शर्मनाक तस्वीर बनकर सामने आया। रविवार को आयोजित बॉक्सिंग चैंपियनशिप कार्यक्रम के बाद मैदान में जगह-जगह फैली प्लास्टिक बोतलें, खाने के रैपर, खाली डिब्बे और गंदगी ने न केवल नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि आयोजकों की जिम्मेदारी पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया।
शिमला (HD News): राजधानी शिमला का ऐतिहासिक रीज मैदान सोमवार सुबह शर्मसार कर देने वाले दृश्य का गवाह बना। रविवार को आयोजित बॉक्सिंग चैंपियनशिप कार्यक्रम के बाद मैदान में चारों ओर फैला कूड़ा, प्लास्टिक बोतलें, खाने-पीने के पैकेट और गंदगी ने प्रदेश सरकार के “स्वच्छता” और “प्लास्टिक बैन” के दावों की पोल खोलकर रख दी।
हैरानी की बात यह है कि इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं मौजूद थे, बावजूद इसके आयोजकों द्वारा सफाई की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई। आयोजन समाप्त होते ही पूरा रीज मैदान मानो कूड़े के ढेर में बदल गया।

❓ नियम आम जनता के लिए, आयोजनों पर छूट क्यों ?
सरकार हर गाड़ी में डस्टबिन रखने, घर-घर में कूड़ादान लगाने और प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध जैसी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करती है। लेकिन राजधानी के सबसे प्रमुख सार्वजनिक स्थल पर जब बड़े सरकारी आयोजन होते हैं, तो नियम-कानून पूरी तरह बौने साबित होते हैं।
* क्या आयोजकों पर कोई दंडात्मक कार्यवाही होगी?
* क्या नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी भूमिका निभाएंगे?
📢 जनता पूछ रही है - अब जवाब चाहिए !
जब समर फेस्टिवल जैसे आयोजन को रीज टैंक की सुरक्षा के लिए स्थानांतरित किया गया, तो ऐसे आयोजनों को रीज पर अनुमति कैसे दी जा रही है?
आयोजकों से पहले से कूड़ा प्रबंधन योजना क्यों नहीं मांगी गई?
क्या मुख्यमंत्री की मौजूदगी का मतलब नियमों से छूट है?
📸 तस्वीरें गवाह हैं..
रीज मैदान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जहां आम नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि "क्या राजधानी की पहचान यही बनकर रह जाएगी?"
अगर राजधानी शिमला का सबसे प्रतिष्ठित स्थान इस तरह से गंदगी की चपेट में आ सकता है, तो प्रदेश के बाकी हिस्सों का हाल अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है। यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों पर सीधा तमाचा है।