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हिमाचल

व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में हिमाचल सरकार का बड़ा कदम : ‘माय डीड’ सेवा शुरू, जमीन की रजिस्ट्री अब होगी पेपरलेस, सिफारिशों का दौर खत्म, पढ़ें पूरी ख़बर..

July 11, 2025 08:54 PM
Om Prakash Thakur

हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक पारदर्शिता और जनसुविधा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 'माय डीड' पेपरलेस रजिस्ट्री सेवा की शुरुआत कर दी है। इस नई व्यवस्था से अब जमीन और मकान की रजिस्ट्री पूरी तरह ऑनलाइन होगी और आम जनता को बार-बार तहसीलों और राजस्व कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस सेवा की लेकर स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने सिफारिशों और दलाली के लंबे दौर पर विराम लगाते हुए राजस्व विभाग को पारदर्शिता की राह पर अग्रसर किया है। 'माय डीड' के माध्यम से अब भूमि संबंधी प्रक्रियाएं तेज, सरल और डिजिटल होंगी, जिससे आमजन को बड़ी राहत मिलेगी। पढ़ें पूरी खबर..

शिमला : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में राजस्व विभाग की पारंपरिक और जटिल प्रक्रिया को डिजिटल युग में ले जाते हुए 'माय डीड' पेपरलेस रजिस्ट्रेशन सेवा की शुरुआत की है। शुक्रवार को शिमला में मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी दी और कहा कि सरकार ने सिफारिशों और दलाली के खेल को खत्म कर आम जनता को बड़ी राहत दी है। अब जमीन और मकान की रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी और लोगों को तहसीलों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। पहले चरण में यह सेवा प्रदेश के 10 जिलों में लागू की गई है और आने वाले एक वर्ष में राज्य सरकार फेसलेस रजिस्ट्री व्यवस्था को भी लागू करेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि नई व्यवस्था में रजिस्ट्री के कुछ ही दिन बाद ऑटोमेटिक म्यूटेशन की सुविधा मिलेगी और भूमि से जुड़ी सभी जानकारियां आधार नंबर से लिंक होंगी। ‘भू-आधार’ नाम की सेवा शुरू की जा रही है, जिसके अंतर्गत अब तक 21 हजार गांवों के नक्शों का डिजिटलीकरण हो चुका है। जल्द ही पूरा राजस्व विभाग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करेगा।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने आपदा प्रबंधन को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार केवल फोटो खिंचवाने या राजनीतिक लाभ के लिए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं करती, बल्कि संकट की घड़ी में जनता के साथ खड़ी रहती है। उन्होंने बताया कि आपदा के तुरंत बाद वे धर्मपुर और सराज क्षेत्र पहुंचे और स्वयं राहत सामग्री पहुंचाई। उन्होंने घोषणा की कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों को बहाल करने के लिए ₹5 लाख तक के टेंडर ऑफलाइन मोड में पास किए जाएंगे ताकि कार्यों में देरी न हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग भूमिहीन हो गए हैं, और पुनर्वास के लिए वन भूमि की आवश्यकता है, जिस पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना होता है। इस संबंध में उन्होंने भाजपा के सातों सांसदों से आग्रह किया कि वे वन भूमि पर पुनर्वास की मंजूरी दिलवाने में राज्य सरकार की मदद करें।

साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि 2023 और 2024 में आई भीषण आपदाओं के बावजूद राज्य को केंद्र सरकार से अब तक कोई विशेष राहत पैकेज नहीं मिला है, केवल नियमित फंड जारी हुए हैं जो हर राज्य को प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार की आपदा के लिए राज्य सरकार कैबिनेट बैठक में विशेष राहत पैकेज पर फैसला लेगी और वे खुद दिल्ली जाकर केंद्र सरकार को नुकसान का विस्तृत ब्यौरा सौंपेंगे।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो लोग आपदा के दौरान लापता हैं और जिनके बचने की संभावना नहीं है, उनके परिजनों को मुआवजा देने में देरी न हो, इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जल्द जारी किए जाएं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने अंत में कहा कि वे नाम के लिए नहीं, सेवा के लिए राजनीति में हैं और विपक्ष को चाहिए कि वे आलोचना की बजाय केंद्र से प्रदेश के लिए राहत पैकेज लाएं, जहाँ ज़रूरत होगी, वे खुद साथ चलने को तैयार हैं।

 

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