हिमाचल के बैंकिंग सेक्टर को हिला देने वाले खुलासे में, कुल्लू के ढालपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा में ₹1.83 करोड़ का किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) लोन घोटाला बेनकाब हुआ है। सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व शाखा प्रबंधक अमर सिंह बोध और उसके दो सहयोगियों ताशी फुंचोग व दौलत राम को 41 फर्जी लोन मंजूर करने के आरोप में तीन-तीन साल कैद और भारी जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपियों ने किसानों के नाम पर जाली जमीन रिकॉर्ड, नकली एनईसी प्रमाण पत्र और फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये हड़प लिए। पढ़ें पूरी खबर..
कुल्लू: (HD News); कुल्लू के ढालपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के नाम पर ₹1.83 करोड़ का घोटाला हुआ, जिसने पूरे बैंकिंग तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। जिन पैसों से किसानों के खेतों में खुशहाली आनी थी, वह फर्जी दस्तावेजों और जाली हस्ताक्षरों के जरिए भ्रष्ट हाथों में चला गया। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस अपराध के मास्टरमाइंड पूर्व शाखा प्रबंधक अमर सिंह बोध और उसके सहयोगियों ताशी फुंचोग व दौलत राम को तीन-तीन साल की कैद और भारी जुर्माने की सजा सुनाई।
41 फर्जी लोन का नेटवर्क कैसे चला
यह मामला 2010 से 2012 के बीच का है। आरोपियों ने फर्जी राजस्व दस्तावेज, नकली गैर-भार प्रमाण पत्र (NEC) और जाली चार्ज सृजन रिपोर्ट तैयार कर 41 केसीसी लोन मंजूर किए। किसानों के नाम पर आवेदन भरे गए, लेकिन कई मामलों में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर असली आवेदक के नहीं थे। वरिष्ठ प्रबंधक तक को गुमराह किया गया ताकि लोन स्वीकृति में कोई अड़चन न आए। नतीजा ₹1.83 करोड़ की रकम सीधे धोखेबाज़ों के खाते में पहुंच गई।

आरोपियों की सजा और जुर्माना
अदालत ने पूर्व शाखा प्रबंधक अमर सिंह बोध को तीन साल कैद और ₹45, 000 जुर्माना, जबकि ताशी फुंचोग और दौलत राम को तीन-तीन साल कैद और कुल ₹1.10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। तय जुर्माना न चुकाने पर तीनों को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
जांच में उजागर हुए चौंकाने वाले तथ्य
1. दौलत राम के नाम पर लिए गए लोन में दस्तावेजों पर किसी और के हस्ताक्षर थे।
2. पटवारी की रिपोर्ट में भूमि स्वामित्व गलत दर्शाया गया।
3. नकली एनईसी जारी कराने के लिए तहसीलदार को गुमराह किया गया और सूचीबद्ध अधिवक्ता की मिलीभगत ली गई।
4. बैंक ऑडिट के दौरान घोटाले की परतें खुलीं, वरना यह लंबे समय तक दबा रहता।
5. इसी तरह के 38 और मामलों में चार्जशीट पर फैसला आना बाकी है - मतलब खेल कहीं बड़ा है।

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ
साल 2010 में दौलत राम ने ₹4.5 लाख के केसीसी लोन के लिए आवेदन किया। आवेदन के साथ 2003-05 की कथित जमाबंदी, केवाईसी दस्तावेज और राशन कार्ड की प्रति लगाई गई—सब कुछ फर्जी। अमर सिंह बोध ने बिना सत्यापन के दस्तावेज 'पास' कर दिए और रकम खाते में ट्रांसफर हो गई। यही फॉर्मूला बाकी 40 लोन में भी अपनाया गया। बैंक ऑडिट के दौरान यह धोखाधड़ी पकड़ी गई और मामला सीबीआई तक पहुंचा।
सीबीआई की कार्रवाई और कोर्ट का फैसला
पीएनबी मंडी सर्कल प्रमुख राजीव खन्ना की शिकायत पर 11 अप्रैल 2015 को सीबीआई एसीबी शिमला ने केस दर्ज किया। लंबी जांच, गवाहों के बयान और दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच के बाद अदालत ने फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश डॉ. परविंदर सिंह अरोड़ा ने साफ कहा - ऐसे मामलों में कानून को सख्ती से लागू करना जरूरी है ताकि बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और भरोसा बना रहे।
किसानों के नाम पर लूट का यह खेल अब बंद होना चाहिए
यह मामला सिर्फ पैसों की चोरी नहीं, बल्कि किसान और ग्राहक के विश्वास की खुली डकैती है। जब बैंक के भीतर ही भ्रष्ट नेटवर्क बैठ जाए, तो योजनाएं और सिस्टम दोनों धराशायी हो जाते हैं। अदालत का यह फैसला एक चेतावनी है - अब हर दस्तावेज, हर सिग्नेचर और हर लोन की जवाबदेही तय होगी, और गुनाहगार चाहे कितना भी बड़ा हो, बच नहीं पाएगा।
