हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आज उच्च शिक्षा की उपेक्षा और सरकारी अनुदान में देरी के विरोध में बड़ा आंदोलन देखने को मिला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) ने कुलपति कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन करते हुए वित्त सचिव पर विश्वविद्यालय का 152 करोड़ का वार्षिक अनुदान जानबूझकर रोकने और प्रदेश सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाया। शिक्षकों ने कहा कि इस रवैये के कारण विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति और शैक्षणिक वातावरण दोनों प्रभावित हो रहे हैं। संघ ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करते हुए वित्त सचिव के तत्काल स्थानांतरण की मांग की है।
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आज उच्च शिक्षा के वित्तीय संकट को लेकर शिक्षक समुदाय एकजुट होकर सड़कों पर उतर आया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) ने कुलपति कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय को मिलने वाले सरकारी अनुदान में हो रही देरी और वित्त सचिव के कथित उदासीन रवैये का कड़ा विरोध जताया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी शामिल हुए, जिन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के साथ इस तरह की लापरवाही हिमाचल के बौद्धिक वातावरण के लिए गंभीर खतरा है।

संघ के अध्यक्ष डॉ. नितिन व्यास, महासचिव अंकुश और सदस्य डॉ. अंजलि ने संयुक्त बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को हर वर्ष 152 करोड़ रुपये का अनुदान मिलता है, लेकिन इसे निर्धारित समय और प्रक्रिया के अनुसार जारी नहीं किया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि वित्त सचिव जानबूझकर यह अनुदान रोक रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षक समुदाय को आर्थिक दबाव में लाया जा सके। उनका कहना था कि अब स्थिति ऐसी बन गई है कि हर महीने वेतन जारी होने से पहले आंदोलन करना पड़ता है, जो किसी भी सम्मानित विश्वविद्यालय के लिए शर्मनाक है।
हपुटवा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जहाँ विधायकों और प्रशासनिक अधिकारियों के भत्तों और वेतन वृद्धि के प्रस्तावों को तुरंत स्वीकृत कर दिया जाता है, वहीं शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन, डीए बढ़ोतरी और शोध अनुदान जारी करने में वित्तीय संकट का हवाला दिया जाता है। इस दोहरे रवैये से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा और शोध के महत्व को सरकारी व्यवस्था में पर्याप्त प्राथमिकता नहीं दी जा रही। शिक्षकों ने इस स्थिति को न केवल वित्तीय मुद्दा बल्कि विश्वविद्यालय की गरिमा और सम्मान पर सीधा आघात बताया।

डॉ. नितिन व्यास ने कहा कि यह संघर्ष केवल कर्मचारियों के हितों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और अकादमिक प्रतिष्ठा की रक्षा का आंदोलन है। उनके अनुसार वित्त सचिव का व्यवहार विश्वविद्यालय की संरचना, इतिहास और सामाजिक दायित्व के प्रति असंवेदनशील है, इसलिए शिक्षक समुदाय इसे सहन नहीं करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय रहते स्थिति को नहीं संभाला तो वित्त सचिव को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने पर भी विरोध का सामना करना पड़ेगा।
हपुटवा ने इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। संघ का कहना है कि यह मामला अब प्रशासनिक दायरे से बाहर निकलकर हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था, युवा आकांक्षाओं और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। इसलिए वित्त सचिव को तुरंत स्थानांतरित कर विश्वविद्यालय के अनुदान और आर्थिक संरचना को स्थिर किया जाना आवश्यक है।
संघ ने घोषणा की है कि कल से सुबह 10:30 बजे सभी शिक्षक कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे और शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा। इसके साथ ही 10 नवंबर को शिक्षक समुदाय एकजुट होकर राजभवन की ओर मार्च करेगा और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर विश्वविद्यालय की वित्तीय और प्रशासनिक स्थिति को लेकर उठ रहे गंभीर प्रश्नों से अवगत कराएगा। हपुटवा ने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक विश्वविद्यालय को सम्मानजनक, स्थिर और व्यवस्थित आर्थिक संरचना प्राप्त नहीं हो जाती।