शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल में आठ वर्षीय दलित छात्र के साथ कथित मारपीट और जातिगत प्रताड़ना के मामले ने शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर पिता की शिकायत में बच्चे की कान की झिल्ली फटने और शौचालय में ले जाकर प्रताड़ित करने जैसे आरोप दर्ज हैं, वहीं शिक्षा विभाग की जांच ने इन आरोपों को निराधार मानते हुए संबंधित शिक्षक को क्लीन चिट दे दी। स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) अध्यक्ष ने भी शिकायत को मनगढ़ंत बताया है। इसके ठीक विपरीत, पुलिस ने आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर 20 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। विभागीय रिपोर्ट और पुलिस कार्रवाई के बीच सामने आया यह विरोधाभास पूरे मामले को और पेचीदा बना रहा है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला : (HD News); शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में आठ साल के दलित छात्र के साथ कथित जातिगत भेदभाव और शारीरिक अत्याचार का गंभीर मामला सामने आया है। पीड़ित बच्चे के पिता दुर्गा सिंह ने प्रधानाध्यापक देवेंद्र कुमार सहित दो शिक्षकों - बाबू राम और कृतिका ठाकुर - पर यह आरोप लगाया है कि उनका बेटा करीब एक वर्ष से निरंतर शारीरिक हिंसा और मानसिक उत्पीड़न का शिकार हो रहा था।
शिकायत के अनुसार, एक घटना में बच्चे को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उसके कान से खून बहने लगा और चिकित्सकीय परीक्षण में कान का पर्दा क्षतिग्रस्त पाया गया। आरोप यह भी है कि शिक्षकों ने बच्चे को स्कूल के शौचालय में ले जाकर उसकी पैंट में बिच्छू बूटी डालकर प्रताड़ित किया। बच्चे के पिता का कहना है कि स्कूल में उसे अलग बैठाकर भोजन कराया जाता था और उसके साथ जातिगत आधार पर भेदभाव किया जाता था।

परिवार का आरोप है कि शिक्षकों ने उन्हें शिकायत दर्ज कराने या मामला सार्वजनिक करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी।
इस बीच, शिक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में अस्थायी शिक्षक को आरोपों से मुक्त बताया गया है, जबकि स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) अध्यक्ष ने भी मामले को निराधार करार दिया है। इसके बावजूद पुलिस ने नितीश ठाकुर को गिरफ्तार कर 20 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जिसके आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की दिशा तय होगी।
ध्यान देने योग्य है कि पिछले महीनों में रोहड़ू क्षेत्र में जातिगत भेदभाव के कई गंभीर मामले उजागर हुए हैं। कुछ समय पूर्व इसी क्षेत्र में एक 12 वर्षीय दलित छात्र की आत्महत्या के मामले में भी उच्च न्यायालय ने आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया था।

वर्तमान मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 323, 506 सहित एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर लिया है। वरिष्ठ अधिकारियों को निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
यह मामला सरकारी स्कूलों में संवेदनशील समुदायों, विशेषकर दलित बच्चों की सुरक्षा, सम्मान और मनोवैज्ञानिक संरक्षण को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह स्पष्ट संकेत है कि शिक्षा प्रणाली में अब भी जातिगत पूर्वाग्रह की गहरी समस्या मौजूद है, जिसे तत्काल और कठोर हस्तक्षेप की आवश्यकता है।