हिमाचल प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनावों को लेकर बड़ा प्रशासनिक संग्राम छिड़ गया है। राज्य के लगभग सभी जिला उपायुक्त (DC) खुले तौर पर स्टेट इलेक्शन कमीशन (SEC) के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। नतीजतन, चुनाव की पूरी प्रक्रिया पटरी से उतरती दिख रही है। बैलेट पेपर तैयार हैं, मतदाता सूची प्रिंट हो रही है, लेकिन जिला प्रशासन के सहयोग के बिना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पहिए थमने की कगार पर हैं। यह टकराव अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि संविधानिक जिम्मेदारी बनाम राज्य की मंशा का सवाल बन गया है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनावों को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक संघर्ष सामने आया है। स्टेट इलेक्शन कमीशन (SEC) के आदेशों के बावजूद प्रदेश के लगभग सभी जिला उपायुक्तों (DC) ने अभी तक चुनावी इलेक्ट्रॉल (Electoral Roll) पब्लिश नहीं किया है। मंगलवार तक स्थिति जस की तस है, जबकि कमीशन की ओर से शुक्रवार को ही रिमाइंडर भेज दिया गया था।
चुनाव प्रक्रिया पर विराम: बैलेट पेपर भी नहीं उठाए गए
चुनाव प्रक्रिया के महत्वपूर्ण चरणों में से एक, बैलेट पेपर और सामग्री की सप्लाई भी इस खींचतान के चलते प्रभावित हो रही है। SEC के अनुसार, बैलेट पेपर और अन्य मतदान सामग्री शिमला में पूरी तरह से तैयार है। सोमवार को कुछ DC इन्हें लेने पहुंचे भी, लेकिन बाद में इन्हें लेने से इंकार कर दिया। यह कदम चुनावी प्रक्रिया को रोकने जैसा माना जा रहा है।

आरक्षण रोस्टर भी रोक पर
राज्य के सभी जिलों में चुनाव के लिए आरक्षण रोस्टर जारी ही नहीं हुआ है। पंचायतीराज विभाग और SEC की बार-बार की नोटिस के बावजूद अब तक कोई जिला प्रशासन इस दिशा में आगे नहीं बढ़ा। इसका सीधा असर उम्मीदवारों के चयन और चुनावी रणनीति पर पड़ा है।
SEC कड़ा रुख अपनाने की तैयारी में
सूत्र बताते हैं कि स्टेट इलेक्शन कमीशन जिला प्रशासन के रवैये से बेहद नाराज है। SEC अब DC के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। हालांकि एक साथ सभी 12 जिलों में कार्रवाई करना बड़ा फैसला होगा, इसलिए आयोग राज्यपाल से मुलाकात कर सकता है। SEC ने कानूनी विकल्प भी खुले रखे हैं और मामले को हाईकोर्ट ले जाने की भी संभावना है।

इलेक्शन कमीशन का तर्क: संवैधानिक बाध्यता के अनुसार चुनाव समय पर कराना ज़रूरी है। पंचायतों का कार्यकाल 31 जनवरी 2026 को समाप्त हो रहा है, ऐसे में चुनाव टालना संभव नहीं। कमीशन बैलेट पेपर की प्रिंटिंग पूरी कर चुका है और वोटर लिस्ट की प्रिंटिंग भी जारी है। जैसे ही इलेक्ट्रॉल नोटिफाई होगा, चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी किया जा सकता है।
मामला पहुंचा हाईकोर्ट
पंचायत चुनाव में देरी का मुद्दा अब हिमाचल हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। अदालत पहले ही सरकार और SEC को नोटिस भेज चुकी है। एक जनहित याचिका में माँग की गई है कि संवैधानिक समय सीमा में चुनाव कराए जाएं।
हिमाचल का पंचायत चुनाव राज्य की जनता के लिए एक संवैधानिक अधिकार है, जिसे किसी भी प्रशासनिक खींचतान के कारण बाधित नहीं किया जा सकता। SEC सक्रिय है और चुनाव करवाने को तत्पर है, लेकिन राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की इस सुस्ती ने इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधर में डाल दिया है। अब सबकी नज़र SEC की अगली कार्रवाई और हाईकोर्ट के आदेश पर टिकी है।
