हिमाचल प्रदेश की फार्मा इंडस्ट्री से जुड़ी एक गंभीर और चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। राज्य में बनी 47 दवाओं समेत देशभर में कुल 200 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता जांच में फेल पाए गए हैं। इनमें बुखार, दिल, शुगर और मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों में उपयोग होने वाली आम और जरूरी दवाएं शामिल हैं। जांच में दवाओं का मानकों पर खरा न उतरना न केवल जनस्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि दवा कंपनियों की जवाबदेही और नियामक तंत्र की प्रभावशीलता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: हिमाचल प्रदेश में निर्मित 47 दवाओं समेत देशभर में कुल 200 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता जांच में फेल पाए गए हैं। इन दवाओं में आमतौर पर उपयोग में आने वाली बुखार की दवा पैरासिटामोल, दिल के मरीजों को दी जाने वाली क्लोपिडोग्रेल और एस्प्रिन, शुगर नियंत्रण की मेटफॉर्मिन, हार्ट की दवा रेमीप्रिल, मिर्गी के इलाज में प्रयुक्त सोडियम वैल्प्रोएट तथा मांसपेशियों की जकड़न कम करने की मेबेवेरिन हाइड्रोक्लोराइड जैसी महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं, जो निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतर सकीं।
नवंबर माह में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा 65 और राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा 135 दवाओं के सैंपल लिए गए थे। जांच के बाद सामने आया कि कुल 47 सैंपल गुणवत्ता मानकों में फेल हैं। इनमें सोलन जिले की 28, सिरमौर जिले की 18 और ऊना जिले की एक दवा कंपनी शामिल है। इन सभी कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए गए हैं।

सिरमौर जिले के कालाअंब स्थित एथेंस लाइफ साइंस कंपनी के पांच दवाओं के सैंपल फेल पाए गए हैं। इनमें रिमिप्रिस, ग्लेमीप्राइड, मैथाप्रिड, निसोलोन और कैटोरोलेक टैबलेट शामिल हैं। इसके अलावा मलकूमाजरा नालागढ़ स्थित मार्टिन एंड ब्राउन बायोसाइंस की जेंटामाइसिन सल्फेट इंजेक्शन और बद्दी स्थित श्रीरमेत इंडस्ट्रीज की सेफिसाइन टैबलेट भी मानकों पर सही नहीं पाई गईं।
इसी तरह सिरमौर की बायोकॉलिक रेमिडीज की रेमिप्राजोल सोडियम एवं डोमपेरिडोन एसआर कैप्सूल, बद्दी की विंग्स बायोटेक की ग्लेमीप्राइड, क्योरटेक फार्मास्युटिकल्स की सेफिक साइन, तथा भटोलीकलां बद्दी की प्लेना रेमिडीज की क्लेरिथ्रोमाइसिन दवाओं के सैंपल भी फेल हुए हैं।

बद्दी की प्रीत रेमिडीज की मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड, मानपुरा की बनेट कंपनी की टेलमीसार्टन, पांवटा साहिब की सेफलिक्स लाइफ साइंसेज की एंब्रोक्लोस एचसीएल सिरप, बरोटीवाला की फॉर्मारूट्स हेल्थकेयर की रेमिप्रिल टैबलेट, बद्दी की शिवानी फार्मास्युटिकल की पैरासिटामोल, सोलन के घट्टी की जीएम लैबोट्री की एक्लोफेनाक व पैरासिटामोल टैबलेट तथा सोलन के ग्लानग स्थित चिमैक हेल्थकेयर की पैरासिटामोल व ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड भी गुणवत्ता जांच में फेल पाई गई हैं। इसके अलावा ऊना जिले की एक कंपनी की सेफिक साइन टैबलेट भी मानकों पर खरी नहीं उतरी।
राज्य दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने बताया कि जिन कंपनियों की दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उन्हें नोटिस जारी कर बाजार से संबंधित दवाओं का स्टॉक वापस मंगवाने के निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही, सभी मामलों में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत नियमानुसार कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनस्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और दवाओं की गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया जाएगा।
