शिमला का प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) आज एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन किसी मेडिकल उपलब्धि के लिए नहीं, बल्कि एक बेहद शर्मनाक और अमानवीय कृत्य के लिए। जिस अस्पताल के गलियारों में 'मरीज का इलाज' होना चाहिए था, वहाँ एक 'डॉक्टर की दबंगई' का खौफनाक मंजर देखने को मिला। सांस लेने के लिए तड़पते एक लाचार मरीज पर डॉक्टर द्वारा बरसाए गए थप्पड़ केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य सिस्टम की नैतिकता पर करारा तमाचा है। कैमरे में कैद हुई इस हैवानियत ने देवभूमि को शर्मसार कर दिया है और न्याय की मांग के साथ शिमला की सड़कों पर आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) शिमला की साख पर एक ऐसा दाग लगा है, जिसे धोना मुश्किल होगा। जिसे लोग 'इलाज का मंदिर' और डॉक्टरों को 'धरती का भगवान' मानते हैं, वहां एक डॉक्टर ने रक्षक की जगह भक्षक का रूप धारण कर लिया। अपनी बीमारी से जूझ रहे एक लाचार मरीज़ को इलाज देने के बजाय, एक डॉक्टर ने सरेआम उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इस शर्मनाक और अमानवीय घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे प्रदेश में गुस्से की लहर है।

कसूर क्या था ? सिर्फ सांस लेना!
यह घटना सिस्टम के मुंह पर करारा तमाचा है। पीड़ित मरीज, अर्जुन पंवार, IGMC में एंडोस्कोपी करवाने पहुंचे थे। यह एक कष्टदायक प्रक्रिया होती है। प्रक्रिया के बाद अर्जुन दर्द और सांस लेने में हो रही गंभीर तकलीफ से जूझ रहे थे। राहत पाने के लिए, वह पास के वार्ड में एक खाली पड़े बेड पर कुछ पल के लिए लेट गए।
यही उनका सबसे बड़ा गुनाह बन गया। वहां मौजूद डॉक्टर को एक मरीज का बेड पर लेटना इतना नागवार गुजरा कि वह अपना आपा खो बैठा। आरोप है कि डॉक्टर ने पहले मरीज को गंदी गालियां दीं और जब मरीज ने अपनी तकलीफ बतानी चाही, तो डॉक्टर ने आव देखा न ताव, उस पर थप्पड़ों की बरसात कर दी।
'इलाज या जुल्म?' IGMC में डॉक्टर ने मरीज पर बरसाए थप्पड़, पीड़ित अर्जुन पंवार ने सुनाई आपबीती..
वायरल वीडियो ने खोली 'सफेद कोट' के पीछे की काली सच्चाई
शायद यह मामला भी अस्पताल की चारदीवारी में दब कर रह जाता, अगर वहां मौजूद किसी शख्स ने इस गुंडई को कैमरे में कैद न किया होता। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे सफेद कोट पहने एक शख्स अपनी मर्यादा और शपथ को भूलकर हिंसा पर उतारू है। यह वीडियो चीख-चीख कर बता रहा है कि IGMC के गलियारों में मरीज कितने असुरक्षित हैं।

अस्पताल बना जंग का मैदान, मरीज का दर्द- 'यह अस्पताल है या यातना शिविर?'
वीडियो के सामने आते ही IGMC परिसर में भूचाल आ गया। मरीज के परिजन और आम जनता का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और परिसर को घेर लिया।
पीड़ा और अपमान से भरे घायल मरीज अर्जुन पंवार ने रुंधे गले से सिस्टम से सवाल पूछा, "हम यहां जान बचाने आते हैं। जब एक मरीज सबसे कमजोर और असहाय स्थिति में होता है, उस वक्त अगर डॉक्टर ही उस पर हमला कर दे, तो आम आदमी कहां जाए? क्या यह अस्पताल है या कोई यातना शिविर?"
प्रदर्शनकारियों की मांग साफ है - आरोपी डॉक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाए और उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उसे जेल भेजा जाए।
आश्वासन का झुनझुना और लीपापोती की आशंका
हमेशा की तरह, भारी दबाव के बाद अस्पताल प्रशासन ने "जांच कमेटी" और "उचित कार्रवाई" का रटा-रटाया आश्वासन थमा दिया है। लेकिन शिमला की जनता अब इन खोखले वादों को मानने के मूड में नहीं है।
IGMC में यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी डॉक्टरों द्वारा मरीजों और तीमारदारों के साथ बदसलूकी के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन हर बार 'जांच' के नाम पर लीपापोती कर दी जाती है और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
यह घटना केवल एक डॉक्टर की व्यक्तिगत गलती नहीं, बल्कि उस बढ़ते अहंकार का प्रतीक है जो 'सफेद कोट' की आड़ में कभी-कभी मानवता को भूल जाता है। जब इलाज के मंदिर कहे जाने वाले अस्पतालों में एक लाचार मरीज सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता का सिस्टम से भरोसा टूटना लाजमी है। अस्पताल प्रशासन का 'जांच का आश्वासन' अब पुराना पड़ चुका है; जनता को अब खोखले वादे नहीं, बल्कि आरोपी डॉक्टर पर सख्त कानूनी कार्रवाई और तत्काल निलंबन चाहिए। अगर आज इस गुंडागर्दी पर कड़ा प्रहार नहीं किया गया, तो भविष्य में किसी और 'अर्जुन पंवार' को न्याय की उम्मीद करना बेमानी होगा। क्या प्रशासन इस सफेद कोट के रसूख को तोड़ेगा या सच एक बार फिर फाइलों में दफन हो जाएगा?
