हिमाचल प्रदेश के शांत माने जाने वाले कुल्लू जिले के सैंज क्षेत्र में घटी एक वीभत्स घटना ने देवभूमि को शर्मसार कर दिया है। यहां मानवता को तार-तार करते हुए चार हैवानों ने एक अनुसूचित जाति की महिला को पहले अपनी हवस का शिकार बनाया और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। दरिंदगी की हदें पार करते हुए, आरोपियों ने अपना पाप छिपाने के लिए महिला के शव को जंगल में ले जाकर एक पेड़ से लटका दिया, ताकि यह जघन्य हत्या एक 'आत्महत्या' प्रतीत हो। इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका अत्यंत संदिग्ध और निराशाजनक रही, जिसने शुरुआती दौर में बिना गहन जाँच के इसे आत्महत्या बताकर मामले को रफा-दफा करने की शर्मनाक कोशिश की थी। पढ़ें विस्तार से..
कुल्लू: (HD News); हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां चार लोगों ने एक अनुसूचित जाति की महिला के साथ पहले सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसकी नृशंस हत्या कर दी। दरिंदगी की हद पार करते हुए, आरोपियों ने हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए महिला के शव को जंगल में एक पेड़ से लटका दिया। इस जघन्य अपराध में स्थानीय पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है, जिसने शुरुआत में इसे आत्महत्या का मामला बताकर रफा-दफा करने की कोशिश की थी। मामले में घोर लापरवाही बरतने और तथ्यों को छिपाने के आरोप में संबंधित थाने के एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया है।

पुलिस की जाँच पर गंभीर सवाल, लीपापोती के आरोप
घटना के बाद पुलिस की कार्रवाई शक के दायरे में रही। शुरुआती जाँच में पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला करार दिया था, जिससे स्थानीय ग्रामीणों और महिला संगठनों में भारी आक्रोश फैल गया। राज्य अनुसूचित जाति आयोग द्वारा की गई जाँच में पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे हैं। आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने बताया कि पुलिस ने न केवल सबूत जुटाने में ढिलाई बरती, बल्कि तथ्यों को दबाने और मामले की लीपापोती करने की भी कोशिश की। आयोग की जाँच में यह भी सामने आया कि पुलिस ने सही धाराएं नहीं लगाईं, जिसके कारण पोस्टमार्टम प्रक्रिया भी अपेक्षित मानकों के अनुरूप नहीं हो सकी।
आयोग के हस्तक्षेप से खुला सच, 4 आरोपी गिरफ्तार

महिला से दुष्कर्म और मर्डर मामले में अनुसूचित जाति आयोग ने की सुनवाई
राज्य अनुसूचित जाति आयोग के कड़े संज्ञान और गहन समीक्षा के बाद ही मामले की सच्चाई सामने आ सकी। आयोग द्वारा गठित एसआईटी ने मामले की नए सिरे से जाँच की और चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। आयोग के अध्यक्ष ने इस घटना को अत्यंत दुखद और शर्मनाक बताते हुए कहा कि यह मानवता को झकझोर देने वाली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मामले में जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासनिक कार्रवाई और न्याय की माँग
आयोग की सिफारिश पर तत्कालीन एसपी और डीएसपी की भी विभागीय जाँच की जा रही है। आयोग ने पीड़ित परिवार को निर्धारित सहायता राशि तत्काल जारी करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला न केवल एक महिला के साथ हुई क्रूरता का है, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। अब देखना यह है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और दोषियों को कितनी सख्त सजा मिलती है।

यह घटना न केवल एक महिला के प्रति क्रूरता की पराकाष्ठा है, बल्कि पुलिस प्रशासन की संवेदनहीनता और कार्यप्रणाली पर भी एक बदनुमा दाग है। अनुसूचित जाति आयोग ने इसे 'मानवता को झकझोर देने वाली' घटना बताया है। आयोग की सिफारिश पर अब तत्कालीन एसपी और डीएसपी की भी विभागीय जाँच शुरू हो गई है और पीड़ित परिवार को तत्काल सहायता राशि जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। लीपापोती का प्रयास विफल होने के बाद अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय दिलाना और दोषियों को ऐसी सख्त सजा सुनिश्चित करना है जो समाज में एक नजीर बन सके।
