प्रोटीन के अलावा यह कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से भी भरपूर होती है। यदि मिनरल्स की बात करें तो इनमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और जिंक का बेहतरीन संगम होता है।
बाकला: जिसे अंग्रेजी में फावा बीन ( Fava Bean ) कहतें हैं का वैज्ञानिक नाम फैसेयोलस वल्गैरिस है।यह पौधा मूलतः मध्य अमेरिका और एंडीज पर्वत पर उगता था।अब यह विश्व भर में उगाया जाता है।विश्व की लगभग 70 प्रतिशत बाकला की पैदावार केवल अकेले चीन में होती है। मिश्र, सीरिया, चीन और अमेरिका में इसकी मुख्य खेती होती है। भारत में इसकी सिफारिश हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ के लिए की गई है।इसकी खाद्यय फलियां और बीज ही इसके उत्पाद होते हैं।इसकी पत्तियां कहीं कहीं हरी सब्जी के काम आतीं हैं और इसका भूसा मवेशियों के लिए काम आता है।जैविक दृष्टि से यह एक द्विबीजपत्री पौधा है।इसकी फलियां लेग्यूम श्रेणी की होने से भूमि को नाइट्रोजन दायक होती हैं।यह प्रक्रिया हाईजोबिया नामक नाइट्रोजन दायक जीवाणु द्वारा होती है।
बाकला मटर और बीन के परिवार से सम्बंधित है।प्रोटीन से भरपूर होने के कारण इसे पौष्टिक आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है।बाकला शरीर में ऊर्जा का भी अच्छा स्रोत है। दरअसल, 100 ग्राम बाकला से भी आप 110 कैलोरी प्राप्त कर सकते हैं।प्रोटीन के अलावा ये कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से भी भरपूर होती है।यदि मिनरल्स की बात करें तो इनमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और जिंक का बेहतरीन स्तर होता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्त्व पार्किंसन बीमारी की आशंका को कम करने के साथ ही एनीमिया से लड़ने की ताकत भी देते हैं।
इसके प्रयोग से जुड़े स्वास्थ्य लाभ:
हड्डियों के लिए लाभदायक - बाकला अर्थात फावा बीन को हड्डियों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।इसमें मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक और कैल्शियम का स्तर अच्छा होता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए उपयुक्त होता है।मैग्नीशियम शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने के साथ ही महिलाओं में आस्टिओपोरोसिस एवं अन्य हड्डियों सम्बंधित रोगों की आशंका को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
पार्किंसन रोग के लिए लाभदायक - एक अध्ययन से सामने आया है कि बाकला में एल-डोपा और सी-डोपा का स्तर अच्छा होता है, जो रक्त में डोपामिन स्तर को बढ़ा कर पार्किंसन रोगियों में चलने-फिरने ( मोटर परफॉर्मेंस ) की गतिविधियों में सुधार लातें हैं। बाकला के निर्धारित सेवन से रक्त में डोपामिन के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाला जा सकता है जो रोग की आशंका को कम कर सकता है।
एनीमिया - यदि आप एनीमिया की समस्या से जूझ रहे हैं तो बाकला का सेवन विशेषतौर पर करें। यह आयरन से भरपूर होने के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन की उत्पादन क्षमता बढाकर शरीर में आक्सीजन की पूर्ति करते हैं।बाकला बीन के नियमित सेवन से एनीमिया की समस्या दूर हो सकती है।
रक्तचाप - बाकला बीन में मैग्नीशियम और पोटेशियम का स्तर अच्छा होने के कारण रक्तचाप सही रहता है।एक अध्ययन के अनुसार मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ रक्त कोशिकाओं ( ब्लड वैसल्स ) को रिलैक्स रखने के साथ ही उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करने का काम करते हैं।
कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक - बाकला बीन ह्र्दय रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होती है।बाकला बीन की विशेषता है कि इसमें घुलनशील फाइबर होता है, जो शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम करता है। एक अध्ययन के अनुसार घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करने के साथ ही ग्लूकोज के स्तर को भी सही रखने का काम करते हैं। इस प्रकार दिल से सम्बंधित बीमारियों जैसे स्ट्रोक, हार्ट अटैक, कार्डियोवस्कुलर डिजीज आदि की आशंका को कम किया जा सकता है परन्तु साथ ही शारिरिक व्ययाम पर ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है।
प्रतिरोधकक्षमता में बढ़ोतरी - बाकला बीन कॉपर का अच्छा स्रोत होता है जो शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का निर्माण बढ़ाने का काम करता है, जिससे विभिन्न रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है। कुछ अध्ययनों के अनुसार बाकला बीन एंटीआक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत होती है जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाकर गम्भीर बीमारियों का खतरा कम करती हैं, जिसमें कैंसर जैसी बीमारियां भी शामिल हैं। इसीलिए ये बीन शरीर के लिए बहुत उपयोगी होती हैं।
वजन कम करने में उपयोगी - बाकला बीन में प्रचुर मात्रा में कैलोरी होती है जो वजन घटाने के लिए अच्छा भोजन हो सकती है।यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन, स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसार प्रोटीन और फाइबर से भरपूर भोजन के सेवन से पेट लम्बे समय तक भरा हुआ रहता है और बार-बार खाने की आदत नियंत्रित हो सकती है। इस तरह यह वजन घटाने में सार्थक हो सकता है।
अन्ततः जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अत्यधिक मात्रा में उपयोग किसी भी चीज का ख़राब होता है तो यह बात खाद्य पदार्थों पर भी लागू होती है। इसलिए बाकला बीन का भी बहुत अधिक मात्रा में सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अधिक मात्रा में सेवन करने से विटामिन बी6 की कमी हो सकती है, उसके अतिरिक्त कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। अतः बाकला बीन को सीमित मात्रा में ही अपने आहार में शामिल करें। वैसे भी सन्तुलित आहार से ही आप अपने जीवन में शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं तथा आपके शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति सम्भव होगी।
साभार: पहाड़ी खेती