शहर में रहना चुनौती भरा हो सकता है, कभी ना खत्म होने वाला ट्रैफिक जाम, शोर-शराबे वाली भीड़, हर तरफ फैली कंक्रीट और ग्लास की इमारतें और दुनिया की तमाम असुविधाओं के बीच हम ज़िंदगी गुज़ारने की कोशिश करते हैं। इस सब के बीच, एक छोटा सा ब्रेक लेकर, एक बदली हवा में सांस लेने की ख्वाइश करने में कुछ गलत नहीं है। एक ऐसी जगह जो आपको आस-पास की वास्तविकता से कहीं दूर ले जाए। जब ऐसा करने का मन करे, तो मतबल वक्त हो गया है एक ऐसे जलाशय के बारे में जानने का जो आपको शहर के पागलपन से बचाकर सुकून के कुछ पल तोहफे में दे। चलिए आपको आपकी इस खोज के विक्लप देते हैं। ये हैं हिमाचल प्रदेश की सुंदर झीलों मेसे एक ऐसी झील/जलाशय जहाँ जाकर आप अपनी भाग-दौड़ भूल जाएँगे..
कांगड़ा : (हिमदर्शन समाचार); हिमाचल प्रदेश में स्थित इस झील को महाराजा प्रताप सागर झील या पोंग डैम झील भी कहा जाता है। यह शानदार घने जंगल और विशाल पहाड़ों से घिरा हुआ है। शहर के जीवन की शोर-शराबे से दूर यह स्वर्ग जैसी जगह है। यह जगह आपको अपने पूरे जीवन के लिए याद रखने के लिए एक अद्भुत अनुभव देगा।
पर्यटकों की भीड़ को महसूस करने के लिए भी यह झील साहसिक गतिविधियों के शौक़ीन लोगों के लिए एक असाधारण गंतव्य है। तैराकी के अलावा विभिन्न पानी के खेल भी यहां आयोजित किए जाते हैं।
झील की प्राकृतिक सुंदरता पहाड़ियों और परिदृश्यों का एक सुखद दृश्य प्रस्तुत करती है जो अविस्मरणीय है। इसके अलावा, इस जलाशय का एक पशु अभयारण्य है, जिसे महाराणा प्रताप सागर अभयारण्य के रूप में जाना जाता है। अभयारण्य विविध वनस्पतियों और जीवों का घर है। यहाँ एक वाटर स्पोर्ट्स सेंटर भी स्थापित है जो कुछ साहसिक और मछली पकड़ने के लिए एक अच्छा स्थान है।
ब्यास नदी पर बाँध बनाकर बनाये गए इस डैम का निर्माण साल 1975 किया गया था। इस डैम को महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया था। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटकों के लिए यह जगह काफी खूबसूरत और मनोरम दृश्य वाला है।
पंछी देखना - बर्ड वाचिंग एक ऐसी गतिविधि है जो आगंतुकों को महाराणा प्रताप सागर झील की ओर आकर्षित करती है। हर साल सर्दियों का मौसम शुरू होते ही पौंग झील पर लाखों की संख्या में विदेशी परिंदे पहुंचते हैं। साइबेरिया सहित अन्य देशों में ठंड के कारण जब पानी जम जाता है, तो पक्षी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर भारत आते हैं। जब भारत में गर्मी शुरू हो जाती है, तो दोबारा अपने वतन वापस लौट जाते हैं।
चूंकि यह झील कांगड़ा घाटी के सिलावन परिवेश में बसा है, इसलिए यह पक्षियों, मछलियों और जानवरों की प्रमुख प्रजातियों का घर बन गया है। उत्तरी लुगविंग, स्पॉट-बिल्ड डक, बरहेडेड गेस, रूडी शेल्डक, उत्तरी पिंटेल सहित कई और लुप्तप्राय पक्षियों की झलक झीलों पर चलते हुए देख सकते हैं।
पानी के खेल - पौंग डैम जलाशय में एक क्षेत्रीय जल-क्रीड़ा केंद्र स्थापित किया गया है, जिसमें तैराकी के अलावा कैनोइंग, रोइंग, नौकायन, और पानी स्कीइंग जैसी केंद्रित गतिविधियां प्रदान की जाती हैं।
पौंग झील जाने का सबसे अच्छा समय
हिमाचल प्रदेश का मौसम अक्टूबर-दिसम के महीनों में अधिक सुखद रहता है। इसलिए, यदि आप हिमाचल प्रदेश की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आप इन महीनों के दौरान कभी भी यात्रा की प्लानिंग कर सकते हैं।
पौंग झील कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग - हवाई मार्ग द्वारा पौंग झील तक जाने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा है गगल हवाई अड्डा। इस हवाई अड्डे की दूरी पोंग-बांध से केवल 75.9 यानि तक़रीबन 76 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से बाकी बची दूरी को कवर करने के आप परिवहन के अन्य साधन जैसे टैक्सी, कैब, ऑटो या फिर बस का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह हवाई अड्डा अक्सर उड़ानों के जरिए दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग - पौंग झील के लिए निकटतम रेलवे विकल्प ब्रॉडगेज रेलवे स्टेशन है जो कि पठानकोट कैंट (चक्की) पोंगडम से 70 किमी की दूरी पर है और नजदीकी नैरो गेज रेलवे स्टेशन नंदपुर भटौली रेलवे स्टेशन, बिरियाल रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी किराये पर ले सकते हैं, या सीधे बसें भी यहाँ के लिये उपलब्ध हैं|
सड़क मार्ग - सड़क मार्ग से पौंग की यात्रा करना आपके लिए मज़ेदार और यादगार साबित हो सकता है। इसकी दूरी नई दिल्ली से 466 किमी, चंडीगढ़ से 170 किलोमीटर, अमृतसर से 110 किलोमीटर और धर्मशाला से 55 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अलावा, आप दिल्ली के आईएसबीटी से कांगड़ा तक के लिए एचआरटीसी वोल्वो बस भी ले सकते हैं। जिसके बाद, कांगड़ा से आप स्थानीय बसों द्वारा पोंग बांध पहुँच सकते हैं या आप टैक्सी स्टैंड कांगडा से किराए पर टैक्सी भी ले सकते हैं।
पोंग बांध का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल में है, जो स्थान से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। आसपास के अन्य हवाई अड्डों में पठानकोट, जम्मू और चंडीगढ़ शामिल हैं। चंडीगढ़ हवाई अड्डा स्थान से 200 किलोमीटर दूर है। हवाई मार्ग से चंद मिनटों में कांगड़ा पहुंचना आपके लिए पौंग झील की यात्रा और भी मज़ेदार और यादगार साबित कर सकता है।