हिमाचल में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का धंधा जोर-शोर से चल रहा है। चम्बा में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का मामला उजागर होने के बाद चम्बा पुलिस ने महिला पर जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर दिया है। इस जालसाजी के पीछे कौन है ? क्या जिला चंबा में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाला गिरोह सक्रिय है ? शिक्षा विभाग के लोगों का उनसे तालमेल है ? जिला चंबा में फर्जी प्रमाण पत्र पांचवी , आठवीं , दसवीं, जमा 2 , व स्नातक तक के बनाने वाला गिरोह सक्रिय है ? क्या किसी एजेंसी ने इसकी निष्पक्ष जांच की है ? शिक्षा विभाग के लोगों का इस फर्जीवाड़े वालों से कोई तालमेल है ? विभिन्न विभागों में कितने इस प्रकार के लोगों को फर्जीवाड़ा के कारण नौकरियां दी गयी हैं ? प्रशासनिक उदासीनता के कारण फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह के विरुद्ध आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
चंबा , 2 दिसंबर ( स्वर्ण दीपक रैणा); चम्बा में जाल साजी कर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर महिला ने मल्टिटास्क वर्कर की नौकरी हासिल की है यह खुलासा RTI में हुआ है। इस पर जो विचारणीय पहलू है वो यह है की महिला तो अनपढ़ है। गांव की है। 2003 में उसकी शादी हो गयी थी। 4 उसके बच्चे भी हैं। उस के पीछे कौन लोग हैं जिन्होंने उसके लिये यह फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया ? क्या जिला चंबा में फर्जी तरीके से शिक्षा के प्रमाणपत्रों का धंधा फलफूल रहा है। शिक्षा विभाग की मिलीभगत से यह काम हो रहा है ?
गिलमा का फर्जीवाड़े के पीछे कौन लोग हैं इसकी जांच जरूरी है ? गिलमा को जो नौकरी दी गयी उसमें गहरा षडयंत्र नजर आ रहा है। RTI के तहत जो जानकारी शिक्षा विभाग ने दी है जो रिजल्ट शीट खंड शिक्षा मैहला 2 द्वारा जारी की गई है उसमें गिलमा को 4 नम्बर पर दर्शाया गया है उससे पहले के लोगों को absent दर्शाया गया है। एक उम्मीदवार के जो 8 नम्बर पर है उसके प्रमाणपत्रों के साथ छेड़छाड़ की गई है।
अब पुलिस को यह देखना होगा गिलमा के पीछे कौन सा गिरोह काम कर रहा है ? कितने दूसरे लोगों को इस प्रकार फर्जीवाड़े द्वारा नौकरियों को दिया गया है। गिलमा अकेली किसी प्रकार का शपथपत्र अदालत में नहीं बनवा सकती तो उसके साथ वो कौन सी शख्सियत थी जिसने उससे वो शपथ पत्र बनवाया ?
उसको जिलाधीश चंबा के पास कौन लोग लेकर गये ?RTI में उसने जो दूसरे कागज व प्रमाण पत्र जमा करवाये हैं वो भी संदेह के घेरे में हैं ?
ठीक इसी प्रकार इसी ग्राम पंचायत के स्कूल हुरेड में मेघो नाम की महिला को जो नौकरी दी गयी है उसकी भी जांच होनी चाहिये। क्योंकि RTI में जो सूचना 2013 व 2022 में दी गयी है। उसमें मेघो नाम की महिला को अपंग होने के कारण नौकरी दी गयी है। लेकिन उसके पास किसी भी मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी अपंगता का सर्टिफिकेट नहीं है ? जो सर्टिफिकेट RTI में 2013 वे 2022 में दिया गया है वो मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट है । न की अपंगता प्रमाण पत्र है ? अपंगता प्रमाण पत्र हिमाचल में मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी किये जाते हैं। जबकि मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जब किसी को सरकारी नौकरी मिल जाती है तो उस पत्र को लेकर वो हॉस्पिटल जाता है तो ओपीडी में जो भी डॉक्टर होते हैं उसको प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं।
मल्टी टास्क वर्कर के जो साक्षात्कार शिक्षा खंड मैहला 2 हरदासपुरा में हुए वो संदेह के घेरे में हैं क्योंकि उप मंडल अधिकारी नागरिक इस में बैठे ही नहीं थे ? उनके पास खंड शिक्षा विभाग के लोग रिजल्ट शीट लेकर गये उन्होंने उस पर हस्ताक्षर कर दिये बस ? उनको वास्तविकता का पता ही नहीं चलने दिया गया ?