हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है,  ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए मंगलवार का पंचांग
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना,  पढ़ना चाहिए ।

आज का पंचांग
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) – मंगलवार Mangalwar के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल,  दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार Mangalwar को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब,  इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत,  नज़र की बाधा से बचाव होता है,  शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है,  बल,  साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे,  राजद्वार में सफलता मिलती है,  उत्तम भूमि,  भवन का सुख मिलता है,  मांगलिक दोष दूर होता है। उपायों से पाप होंगे दूर,  सुख – समृद्धि की कोई कमी नहीं रहेगी
*विक्रम संवत् 2081, *शक संवत – 1945*कलि सम्वत 5124*अयन – दक्षिणायन*ऋतु – वर्षा ऋतु*मास – अश्विन माह, *पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल – मेष,  कर्क,  कन्या,  वृश्चिक,  धनु,  मीन, 

मंगलवार को मंगल की होरा :-
प्रात: 6.14 AM से 7.13 AM तक
दोपहर 01.09 PM से 2.09 PM तक
रात्रि 20.07 PM से 9.08 PM तक
मंगलवार को मंगल की होरा में हाथ की निम्न मंगल पर दो बूंद सरसो का तेल लगा कर उसे हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक मंगल देव के मन्त्र का जाप करें ।
कृषि,  भूमि,  भवन,  इंजीनियरिंग,  खेलो,  साहस,  आत्मविश्वास और भाई के लिए मंगल की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
मंगलवार के दिन मंगल की होरा में मंगल देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में मंगल मजबूत होते है,  पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
मंगल देव के मन्त्रॐ अं अंगारकाय नम: अथवा
ॐ भौं भौमाय नम:”
तिथि :- चतुर्दशी 21.42 PM तक तत्पश्चात अमावस्या
तिथि के स्वामी :- चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी है । चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।
अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा,  अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं,  भक्तो के सभी संकट दूर होते है ।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी मासिक शिवरात्रि कहलाती है । चतुर्दशी तिथि / मासिक शिवरात्रि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है ।
किसी भी पक्ष की चतुर्दशी में शुभ कार्य करना वर्जित हैं क्योंकि इसे क्रूरा कहा जाता है,  चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथियों की श्रेणी में आती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मा जातक समान्यता धर्मात्मा,  धनवान,  यशस्वी,  साहसी,  परिश्रमी तथा बड़ो का आदर सत्कार करने वाला होता है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे लोगों को क्रोध बहुत आता है। इस तिथि में जन्मे जातक साहसी और परिश्रमी होते हैं। इन लोगों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है तभी इन्हे सफलता हाथ लगती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।
शास्त्रों में चतुर्दशी को हिंसा,  अनैतिक कार्य,  मांस-मदिरा का सेवन,  तिल का तेल,  लाल रंग का साग,  काँसे के बर्तन में भोजन एवं शारीरिक संबंध बनाना मना किया गया है ।
शास्त्रों में 3 चतुर्दशी तिथियों का बहुत महत्त्व बताया गया है । ये है अनंत चतुर्दशी,  नरक चतुर्दशी और बैकुंठ चतुर्दशी ।

नक्षत्र (Nakshatra) – पूर्वाफाल्गुनी 9.16 AM तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
नक्षत्र के देवता,  ग्रह स्वामी – पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है ।आकाश मंडल में पूर्वा फाल्गुनी को 11वां नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक बिस्तर के सामने के दो पैर हैं जो आराम,  अच्छे भाग्य का भी प्रतीक है।
यह नक्षत्र सुख,  धन,  कामुक प्रसन्नता,  प्रेम और मनोरंजन को दर्शाता हैं। इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पलाश तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवनभर सूर्य और शुक्र का प्रभाव बना रहता है।
पूर्वा फाल्गुनी में जन्मा जातक सुन्दर,  विलासी,  स्त्रियों का प्रिय,  साहसी,  चतुर,  वाकपटु,  खुले दिल वाला और घूमने फिरने का शौक़ीन होता है,  इन्हे स्त्री और धन-संपत्ति का पूर्ण सुख मिलता है।
लेकिन यदि सूर्य और शुक्र शुभ नहीं है तो जातक बहुत कामुक,  विलासी,  धूर्त,  घमंडी,  जुए – सट्टे का लती और क्रोधी हो सकता है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्रियाँ धार्मिक,  दयालु,  आकर्षक,  मिलनसार,  आसानी से दूसरो को प्रभावित करने वाली,  वैसी प्रवर्ति की होती है। यह आसानी से जीवन में सफलता प्राप्त कर लेती हैं।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9,  भाग्यशाली रंग,  चाकलेटी,  हल्का भूरा,  भाग्यशाली दिन शुक्रवार और रविवार माना जाता है ।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ भगाय नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।
संकटो से रक्षा के लिए इस नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए । पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन माँ लक्ष्मी जी की आराधना से कभी भी धन की कमी नहीं होती है ।

योग :- शुक्ल 2.18 AM,  2 अक्टूबर तक, 
योग के स्वामी :- शुक्ल योग की स्वामी देवी पार्वती जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
प्रथम करण : – विष्टि 8.21 AM तक, 
करण के स्वामी,  स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
द्वितीय करण : – शकुनि 21.39 PM तक तत्पश्चात चतुष्पाद, करण के स्वामी,  स्वभाव :- शकुनि करण की स्वामी माँ काली और स्वभाव क्रूर है ।
गुलिक काल : – दोपहर 12:00 से 01:30 तक है ।दिशाशूल (Dishashool)- मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा,  कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।राहुकाल (Rahukaal) दिन – 3:00 से 4:30 तक।
सूर्योदय – प्रातः 06:04
सूर्यास्त – सायं 18:07
विशेष – चतुर्दशी,  श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना,  तिल का तेल का सेवन करना,  सहवास करना निषिद्ध है ।
आज का शुभ मुहूर्त 1 अक्टूबर 2024 :
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 37 मिनट से 5 बजकर 26 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से 2 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि रात में 11 बजकर 46 मिनट से से 12 बजकर 35 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 7 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक। अमृत काल सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 1 अक्टूबर 2024 :
राहुकाल दोपहर में 3 बजे से शाम में 4 बजकर 30 मिनट तक। वहीं,  दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। सुबह में 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह में 8 बजकर 37 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक। इसके बाद सुबह में 10 बजकर 58 मिनट से 11 बजकर 46 मिनट तक। भद्राकाल का समय सुबह में 6 बजकर 14 मिनट से अगले दिन सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक।
आज का उपाय :आज संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी),  आज के वार,  आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ),  आज के योग और आज के करण,  आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे,  इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।