शिमला में मांगों को लेकर गरजे व्यवसायिक शिक्षक, बोले कम्पनियां कर रही सरकार के निर्देशों को दरकिनार, दिवाली पर एरियर न मिलने से त्यौहार रहा फीका, कंपनियों को बाहर कर सरकार से पॉलिसी बनाने की मांग, पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश के 1100 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में वोकेश्नल सब्जेक्ट की पढ़ाई पूरी तरह ठप पड़ गई है। वोकेश्नल टीचर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर करने, समय पर सैलरी देने और दिवाली पर भी एरियर नहीं देने से नाखुश है। इससे नाराज वोकेश्नल टीचरों ने आज शिमला के चौड़ा मैदान में प्रदर्शन किया।
कल भी सरकार और सेवा प्रदाता कंपनियों के खिलाफ इनका आंदोलन जारी रहेगा। हिमाचल के वोकेश्नल टीचर हरियाणा की तर्ज पर उन्हें शिक्षा विभाग के अधीन लाने की मांग कर रहे हैं। अभी इनकी सेवाएं कंपनियों के माध्यम से ली जा रही है, जो कि मोटी रकम कमीशन के तौर पर लेती है। टीचरों का आरोप है कि कंपनियां उनका शोषण कर रही है।
प्रदेश के सरकारी हाई और सेकेंडरी स्कूलों में साल 2013 से वोकेश्नल सब्जेक्ट 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है। इन पाठ्यक्रमों में 80 हजार से ज्यादा छात्र पंजीकृत है।
शिक्षा विभाग ने 17 कंपनियां पंजीकृत..!!
हैरानी इस बात की है कि शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक-दो नहीं बल्कि पूरी 17 कंपनियां पंजीकृत कर रखी है। वोकेश्नल टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी ने बताया कि अधिकांश कंपनियों ने दिवाली पर भी उनका एरियर नहीं दिया, जबकि शिक्षा निदेशक ने 5 अक्टूबर को एक ऑर्डर जारी किए थे।
जिसमें कहा गया कि 20 अक्टूबर तक सभी वोकेश्नल टीचर को सैलरी का एरियर एकमुश्त दिया जाए। उन्होंने बताया कि कुछ कंपनियों ने एक-दो महीने का एरियर दिया है, जबकि शिक्षा निदेशक के ऑर्डर के मुताबिक 6 माह के एरियर का भुगतान एकमुश्त होना था।
सैलरी भी 28 अक्टूबर को नहीं मिली..
राज्य सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को दिवाली को देखते हुए 28 अक्टूबर को सैलरी का भुगतान किया है। मगर वोकेश्नल टीचर को अब तक अक्टूबर की सैलरी नहीं मिल पाई। अश्वनी कुमार ने बताया, कल भी शिमला के चौड़ा मैदान में वोकेश्नल टीचर प्रदर्शन करेंगे। यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह हड़ताल को आगामी दिनों में भी जारी रख सकते हैं।
सरकारी स्कूलों में वोकेश्नल टीचर केंद्र सरकार की स्कूलों में दक्ष कामगार तैयार करने की योजना के तहत रखे गए हैं। इनमें 90 प्रतिशत बजट केंद्र और 10 फीसदी बजट राज्य सरकार देती है। सरकार ने इस साल इनका मानदेय अप्रैल माह में बढ़ा दिया था। इसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया था। इसे देखते हुए शिक्षा निदेशक ने 20 अक्टूबर तक कंपनियों को बढ़े हुए वेतन का एरियर देने के आदेश जारी किए थे। कई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने विभाग के आदेशों की भी परवाह नहीं की और टीचरों को दिवाली पर भी एरियर नहीं दिया गया।