हिंदी ENGLISH E-Paper Download App Contact us Wednesday | January 22, 2025
हिमाचल CPS मामला: सुप्रीम कोर्ट में CPS मामले की सुनवाई टली, देश भर में लागू होगा सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला, पढ़ें पूरी खबर.       आज बुधवार का पंचांग: 22 जनवरी 2025; जानिए आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय       आज का राशिफ़ल: 22 जनवरी 2025; इन 7 राशि वालों को मिलेंगी खुशखबरी, मिलेगा आकस्मिक लाभ, जानें मेष से मीन का तक का राशिफल       विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां ने बिहार विधान सभा में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को किया सम्बोधित..       विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां ने बिहार विधान सभा में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को किया सम्बोधित..       85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ, हिमाचल विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां ने आगामी कार्यक्रमों पर दिए कई अहम सुझाव, पढ़ें पूरी खबर       आज का राशिफ़ल: 21 जनवरी 2025; आज इन राशियों का बदलेगा भाग्य, बजरंगबली का मिलेगा आशीर्वाद, जानें आपके लिए कैसा रहेगा मंगलवार का दिन       मंगलवार का पंचांग : 21 जनवरी 2025; जानिए आज का शुभ मुहूर्त व राहुकाल का समय..       इंजेक्शन को लेकर झूठ बोलने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करें मुख्यमंत्री : जयराम ठाकुर       शिमला में दर्दनाक हादसा: सीमेंट से लदा ट्रक खड्ड में गिरा, अर्की के दो सगे भाइयों की इस सड़क हादसे में गई जान, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर, पढ़ें पूरी खबर..      

धर्म/संस्कृति

देवउठनी एकादशी आज, जानें कौन सा लगाएं भोग, पूजा मुहूर्त, शुभ योग और उठो देव बैठो देव पाटकली चटकाओ देव गीत

November 12, 2024 01:38 PM

आज देशभर में देव उठनी एकादशी का व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान नारायण चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और इसी के साथ शुभ व मांगलिक कार्यक्रम प्रारंभ हो जाते हैं। देव उठनी एकादशी पर तुलसी व शालिग्राम का विवाह भी किया जाता है। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर कौन सा भोग लगाएं, पूजा मुहूर्त, शुभ योग और देव गीत...

शिमला: (HD News); हिंदू धर्म में देव उठनी एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह तिथि आज यानी मंगलवार 12 नवंबर को पड़ रही है। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं और पुन: सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं और इसी के साथ इस दिन से सभी शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। आपको बता दें कि इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी के विवाह का भी प्रवधान है।

इन चीजों का लगाएं भोग

देव उठनी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा अर्चना करें और सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है। श्रीनारायण और माता लक्ष्मी को पेड़े या खीर का भोग लगा सकते हैं। इस दिन महिलाएं घर के आंगन में गेरू तथा खड़िया से घरों को सजाती हैं और तुलसी विवाह के साथ पूजा, आरती, भजन व देव उठनी एकादशी का गीत गाकर उत्सव भी मनाते हैं।

आज देवउठनी एकादशी व्रत और कल पारण

कार्तिक माह की एकादशी 11 नवंबर को शाम के 6 बजकर 46 बजे से लेकर 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 12 नवंबर दिन मंगलवार को उदया तिथि में होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। वहीं इसका पारण 13 नवंबर को सुबह 6 बजे के बाद किया जाएगा।

देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी का महत्व सभी एकादशियों में सबसे अधिक माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा से सभी कष्ट व संकट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिससे घर में सख-समृद्धि व संपन्नता आती है। देवउठनी एकादशी से सभी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे शादी, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस दिनों से तुलसी विवाह भी होता है। इस दिन पूजन करने के साथ ही यह भी कामना की जाती है कि परिवार में सभी सदस्यों के संकट दूर हों और होने वाले मंगल कार्यक्रम बिना किसी निर्विघ्न संपन्न हो जाएं।

देवउठनी एकादशी पर पूजा मुहूर्त और शुभ योग

देवउठनी एकादशी पर व्रती भगवान विष्णु की पूजा सुबह 6 बजकर 42 मिनट से कर सकते हैं। देवउठनी एकादशी पर 7 बजकर 52 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा करना और भी फलदायी होगा। देवउठनी एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 56 मिनट से 5 बजकर 49 मिनट रहेगा। फिर अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

देवउठनी एकादशी पर भगवान को जगाया जाता है, जिसके लिए ये गीत भी गाया जाता है :

उठो देव बैठो देव-पाटकली चटकाओ देवआषाढ़ में सोए देव-कार्तिक में जागे देवकोरा कलशा मीठा पानी उठो देव पियो पानीहाथ पैर फटकारो देव - आंगुलिया चटकाओ देवकुंवारों के ब्याह कराओ देव - ब्याहों के गौने कराओ देवतुम पर फूल चढ़ाएं देव - घी का दीया जलाएं देवआओ देव पधारो देव - तुमको हम मनाएं देवचूल्हा पीछे पांच पछीटा सासू जी बलदाऊ जी तुम्हारे बेटाओने कोने झांझ मंजीरा सहोदरा किशन जी तुम्हारे वीराओने कोने रखे अनार ये हैं किशनजी तुम्हारे यारओने कोने लटकी चाभी सहोदरा ये है तुम्हारी भाभीजितनी खूंटी टांगू सूट उतने इस घर जन्मे पूतजितनी इस घर सींक सलाई उतनी इस घर बहुएं आईंजितने इस घर ईंट और रोड़े उतने इस घर हाथी घोड़ेगन्ने का भोग लगाओ देव, सिंघाड़े का भोग लगाओ देवबेर का भोग लगाओ देव, गाजर का भोग लगाओ देवबैंगन का भोग लगाओ देव, पुए का भोग लगाओ देवमूली का भोग लगाओ देव।

Have something to say? Post your comment

धर्म/संस्कृति में और

मौनी अमावस्या 2025: कब है मौनी अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और स्नान-दान का महत्व..

आज का राशिफ़ल : 30 दिसंबर; 2024; इन 5 राशि वालों को मिलेंगी शुभ सूचनाएं, जानें मेष से मीन का तक का राशिफल

प्रभु दर्शन के लिए मर्यादित वस्त्र पहनकर आएं श्रद्धालु, वरना नहीं मिलेगी एंट्री, शिमला के इस ऐतिहासिक मंदिर में लगाए जाएंगे अपील बोर्ड, पढ़ें पूरी खबर..

गुरु नानक जयंती 2024: गुरु नानक जयंती को क्यों कहते हैं प्रकाश पर्व ? जान लें सिख धर्म के संस्थापक की वो प्रमुख शिक्षाएं जो आज भी हैं प्रासंगिक, पढ़ें विस्तार से ..

शनि होंगे मार्गी और वक्री गुरु मिलकर दिलाएंगे इन राशि वालों को कोई बड़ा फायदा, जानें कौन सी हैं ये राशियां

भाई दूज 2024: भाई दूज पर तिलक के लिए मिलेगा सिर्फ इतना टाइम, केवल शुभ मुहूर्त में ही बहने लगाएं भाई को तिलक, जानिए भाई दूज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, पढ़ें पूरी खबर.

धनतेरस 2024: धनतेरस पर बन रहे हैं तीन शुभ योग, यहां जानें सोना-चांदी खरीदनें और धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त, पढ़ें पूरी खबर..

सुहागिनों के महापर्व करवा चौथ पर जानें देश के किस प्रमुख शहर में कब दिखेगा चांद, शिमला के रिज पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, पढ़ें पूरी खबर..

करवा चौथ 2024: करवा चौथ किस दिन है ? जानिये करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त का समय, आखिर कब निकलेगा चाँद और किस दिन चूड़ियां खरीदना होगा शुभ, देखें पूरी खबर..

जय माता दी ।। आज नवरात्रि का पहला दिन: जानिए मां शैलपुत्री की पूजा विधि, भोग, घटस्थापना मुहूर्त, मंत्र, शुभ रंग व कथा..