30 दिसंबर को हुई नगर निगम शिमला की मासिक बैठक में निगम के सार्वजनिक शौचालयों में पुरुषों से यूरिन शुल्क वसूलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नगर निगम में जेंडर इक्वलिटी का हवाला देकर पुरुषों से भी यूरिन शुल्क लेने के संबंध में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा था, जिसे आने वाले समय में लागू किया जा सकता था। शिमला में यूरिन चार्जेज की खबर बीते रोज खूब वायरल हुई और लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद 31 दिसंबर को नगर निगम शिमला के महापौर ने यू-टर्न लेते हुए इस तरह के किसी भी प्रस्ताव के होने से इनकार कर दिया है। लेकिन, जनता ने इस बात का खासा विरोध किया है। जनता ने शुल्क को गलत ठहराते हुए इसे निंदनीय प्रस्ताव करार दिया। पूरे प्रदेश में एक खबर आग की तरह फैली कि नगर निगम शिमला अपने 30 शौचालयों में पुरुषों से भी ₹5 यूरिन शुल्क के तौर पर लेने की तैयारी कर ली है। इस खबर के बाहर आते ही पूरे प्रदेश में निगम और सरकार की बदनामी हुई। मौजूदा समय में पर्यटन सीजन चल रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में बाहरी लोग हिमाचल प्रदेश का रुख करते हैं। निगम के ऐसे फैसलों से पर्यटन पर भी असर देखने को मिल सकता है। हालांकि, अब जैसे ही यह खबर वायरल हुई और निगम के साथ सरकार की बदनामी हुई तो निगम अपने इस प्रस्ताव से यू-टर्न ले चुका है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार पहले टॉयलेट टैक्स पर घिरी थी। अब शिमला में पब्लिक टॉयलेट्स में पुरुषों से शुल्क लेने के मामले में भी खूब किरकिरी हुई। उधर, नगर निगम ने मामले में यू टर्न लिया है। किरकिरी के बाद शिमला नगर निगम ने सफाई पेश की है। कांग्रेस शासित निगम के मेयर ने इस मामले पर मंगलवार को पूरे विवाद पर सफाई दी है।
महापौर सुरेंद्र चाहौन ने शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा कि हम लोगों ने किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लगाया है। निगम में केवल चर्चा हुई थी। हम ना महिला और ना ही पुरुष से किसी तरह से चार्ज लेंगे। महापौर सुरेन्द्र चौहान ने कहा कि शहर के किसी भी सुलभ शौचालयों में शुल्क नहीं लिया जाता था। हमने सुलभ शौचालय चलाने वालों को टैंडर दिया है और नगर निगम का इनसे कोई संबंध नहीं है।
मेयर ने कहा कि नगर निगम की तरफ से ना कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं था और न ही फैसला लिया। केवल सुलभ इंटरनेशनल कोर्ट गया था और उसमें उन्होंने मांग की थी कि हमें यूजर चार्जिज लेने का हक दें। मेयर ने कहा कि इस विषय को वेवजह तूल दिया गया और इसी वजह से वह सफाई दे रहे हैं।
शिमला में टॉयलेट की बिल्कुल फ्री सुविधा है। बाकायदा लिखा गया है। हम किसी भी महिला-पुरुष पर शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने बताया कि 2 लाख 57 हजार रुपये सुलभ इंटरनेशनल को निगम की ओर से दिए जा रहे हैं। अब निगर निगम इस प्रस्ताव को रुफ्यूज करेगा। मेयर ने कहा कि हमारी तरफ से कोई कोर्ट नहीं गया था। अगली सुनवाई में उसमें हम कहेंगे कि हमारी तरफ से ऐसा कोई प्रपोजल नहीं है। साल के लिए टैंडर किया जाता है। सुलभ ने ही कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें शुल्क लगाने के लिए मंजूरी दी जाए।
क्या था मामला
हिमाचल प्रदेश के शिमला में 130 के करीब शौचालय हैं। इनमें से 30 में टॉयलेट करने के लिए शुल्क लगाने की तैयारी थी। नगर निगम की बैठक में इस पर चर्चा हुई थी। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि इन शौचालयों में महिलाओं से पांच रुपये लिए जाते हैं और पुरुषों के लिए यह सुविधा मुफ्त है। ऐसे में इस पर सोमवार को विवाद हो गया। हाईकोर्ट में यह मामला चल रहा है। जुलाई में सुलुभ हाईकोर्ट गया था।