शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश सरकार ने वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने और बजट कुप्रबंधन पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राज्य के कई सरकारी महकमों के पास योजनाओं और अनखर्चे बजट की राशि एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीदों) के रूप में पड़ी है, इसके बावजूद वे अतिरिक्त बजट और ग्रांट-इन-एड की मांग कर रहे हैं। अब ऐसे विभागों की गतिविधियों पर वित्त विभाग का बजट डिविजन सीधी निगरानी रखेगा।
बजट डिविजन करेगा एफडीआर की समीक्षा
हाल ही में हुई समीक्षा बैठक के बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने वित्त विभाग को निर्देश दिए कि विभाग नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करे। वित्त विभाग अब किसी भी विभाग के अतिरिक्त बजट प्रस्ताव पर निर्णय लेने से पहले उनके खातों में जमा एफडीआर का रिकॉर्ड देखेगा। यदि विभाग के पास पर्याप्त एफडीआर पाई जाती है, तो उसी के अनुसार अतिरिक्त बजट में कटौती कर दी जाएगी।

वित्तीय अनुशासन को लेकर कड़ा फैसला
राज्य सरकार ने सभी विभागों को पहले ही निर्देशित किया था कि वे योजनाओं से बचे हुए बजट और ब्याज की राशि का ब्यौरा वित्त विभाग को सौंपें। कई विभागों ने ऐसी जानकारी उपलब्ध करवा दी है। सरकार का यह कदम वित्तीय अनुशासन और बेहतर आर्थिक प्रबंधन की दिशा में अहम माना जा रहा है।
उपायुक्तों ने जमा किए 130.57 करोड़ रुपये
खर्च न किए गए बजट और ब्याज की राशि के रूप में सभी उपायुक्तों ने कुल 130.57 करोड़ रुपये सरकार को जमा किए हैं। यह धनराशि प्लानिंग हेड योजनाओं से जुड़ी हुई है और विकास में जनसहयोग के लिए बनाए गए मेन्टेनेंस कोरपस से संबंधित है। सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसी योजनाओं की मूलधन और ब्याज की राशि कोषागार में अनिवार्य रूप से जमा कराएं।