हिमाचल प्रदेश में आज शनिवार, 13 सितंबर 2025 को शिमला में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। यह लोक अदालत सिविल कोर्ट परिसर में लगी, जहां विभिन्न लंबित मामलों और ट्रैफिक चालानों का निपटारा किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य आम जनता को त्वरित, सुलभ और किफायती न्याय प्रदान करना है। इसके माध्यम से विवादों का समाधान संवाद और आपसी समझौते के ज़रिए किया जाता है, जिससे न्याय प्रणाली पर लोगों का भरोसा और मजबूत होता है। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आज शनिवार 13 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह लोक अदालत सिविल कोर्ट परिसर में आयोजित हुई, जहां बड़ी संख्या में लंबित मामलों और ट्रैफिक चालानों को निपटाने का प्रयास किया गया। इस मौके पर न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं की मौजूदगी में पक्षकारों को तेज और सुलभ न्याय प्रदान करने का प्रयास किया गया।
श्रम न्यायालय से जुड़े मामलों का त्वरित निपटारा
आयोजित लोक अदालत में विशेष रूप से श्रम न्यायालय से जुड़े 178 मामलों की सुनवाई की गई। इनमें से 176 मामलों का सफल निपटारा आपसी सहमति से किया गया। इन मामलों के निपटारे के दौरान कुल ₹51, 59, 565 की राशि का समाधान सामने आया। यह उपलब्धि न केवल न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा मजबूत करती है बल्कि श्रमिकों और कर्मचारियों को आर्थिक रूप से राहत पहुंचाने वाला कदम भी साबित हुई।

लोक अदालत का मूल उद्देश्य लोगों को तेज़, सस्ती और सुलभ न्यायिक सुविधा उपलब्ध कराना है। यहां पक्षकारों को यह अवसर दिया जाता है कि वे आपसी संवाद और सहमति से अपने विवादों का निपटारा करें, जिससे लंबी कानूनी प्रक्रिया और अतिरिक्त खर्च से बचा जा सके। आज शिमला में आयोजित इस लोक अदालत ने इसी उद्देश्य को सार्थक करते हुए कई लोगों को त्वरित न्याय प्रदान किया।
इस लोक अदालत में न केवल श्रम न्यायालय से जुड़े मामले बल्कि विभिन्न ट्रैफिक चालान और छोटे-मोटे विवाद भी सुलझाए गए। इससे न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ कम करने में मदद मिली है। साथ ही आम जनता को यह संदेश भी गया है कि न्याय व्यवस्था केवल औपचारिक कार्यवाही तक सीमित नहीं, बल्कि त्वरित और सरल समाधान भी उपलब्ध करा सकती है।
शिमला में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने एक बार फिर यह साबित किया कि न्याय केवल लंबी अदालती प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि आपसी समझौते और संवाद से भी संभव है। श्रम न्यायालय के मामलों के त्वरित निपटारे और लाखों की राशि के समाधान से लोगों को बड़ी राहत मिली। ऐसे प्रयास न केवल न्यायिक बोझ कम करने में सहायक हैं बल्कि न्याय व्यवस्था पर जनता के विश्वास को और मजबूत करते हैं।