हिमाचल प्रदेश इस बार के मानसून की भीषण मार झेल रहा है। लगातार हो रही बारिश, भूस्खलन और क्लाउडबर्स्ट ने राज्य की सड़क, बिजली और पेयजल व्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 647 सड़कें बंद, 185 ट्रांसफार्मर ठप, और 343 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। वहीं, जून से सितंबर 2025 के बीच प्रदेश में 394 लोगों की मौत, हजारों मकानों के नुकसान और करीब ₹4, 467 करोड़ की क्षति का अनुमान लगाया गया है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में मानसून 2025 ने अब तक का सबसे बड़ा कहर बरपाया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SEOC) के अनुसार, 14 सितंबर 2025 सुबह 10 बजे तक प्रदेशभर में 647 सड़कें बंद हैं, जिनमें 3 नेशनल हाईवे (NH-03, NH-503A और NH-305) शामिल हैं। इसके अलावा 185 बिजली के ट्रांसफार्मर ठप पड़े हैं और 343 जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
मंडी और शिमला सबसे ज्यादा प्रभावित
मंडी जिला इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां 246 सड़कें बंद, 64 ट्रांसफार्मर और 53 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं। शिमला जिले में 58 सड़कें, 4 ट्रांसफार्मर और 61 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। सिरमौर जिले में 24, सोलन में 17 और ऊना में 22 सड़कें बंद पड़ी हैं, जिससे स्थानीय लोगों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है।
भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान
20 जून से 13 सितंबर 2025 तक के आंकड़े बताते हैं कि इस मानसून सीजन में प्रदेश ने भीषण तबाही झेली है।
394 लोगों की मौत और 455 लोग घायल हुए हैं।
20, 941 से अधिक पशुओं की मौत और 2, 086 पशु लापता हैं।
अब तक 5, 993 मकान पूरी तरह तबाह, जबकि 18, 945 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
राज्य को अब तक करीब ₹4, 46, 778.62 लाख (करीब ₹4, 467 करोड़) का आर्थिक नुकसान हुआ है।
मौत के कारण
प्राकृतिक आपदाओं से हुई 394 मौतों में से 221 मौतें सीधे मानसून आपदाओं से जुड़ी हैं। इनमें शामिल हैं:
भूस्खलन – 48 मौतें
फ्लैश फ्लड – 11 मौतें
क्लाउडबर्स्ट – 17 मौतें
डूबने से – 38 मौतें
सांप के काटने से – 15 मौतें
करंट लगने से – 16 मौतें
पेड़/चट्टान गिरने से – 43 मौतें
इसके अलावा इस अवधि में 173 लोगों की मौत सड़क हादसों में भी हुई है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें मंडी (24), शिमला (20), चंबा (22) और सोलन (22) जिलों से दर्ज की गई हैं।
इस बार का मानसून हिमाचल प्रदेश के लिए सबसे खतरनाक साबित हो रहा है। राज्य की सड़कें, बिजली और जलापूर्ति प्रणाली पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हैं। लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन से राहत-बचाव कार्यों में भी बाधा आ रही है। राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें स्थिति पर नजर रखे हुए हैं, लेकिन प्रदेश को इस आपदा से उबरने में लंबा समय लगेगा।
📌 डिस्क्लेमर : इस समाचार में दी गई सभी जानकारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SEOC) द्वारा जारी रिपोर्ट पर आधारित है। आंकड़ों में समय-समय पर बदलाव संभव है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी आधिकारिक उपयोग या निर्णय से पहले संबंधित विभाग द्वारा जारी ताज़ा अपडेट को अवश्य देखें।