कुल्लू की धरती पर इस बार दशहरे का मेला नहीं, बल्कि कानून की लाचारी का तमाशा देखने को मिला। एक तहसीलदार, जो जनता और सरकार के बीच न्याय की कड़ी है, उसे भीड़ ने देवता के नाम पर घसीटकर पीटा और पुलिस खामोश खड़ी रही। यह सिर्फ एक अधिकारी पर हमला नहीं, बल्कि पूरे शासनतंत्र की मर्यादा पर लात है। तहसीलदार हरि सिंह यादव कोई आम नाम नहीं हैं - चालीस साल की ईमानदार सेवा और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल। पर अब वही अधिकारी धार्मिक उन्माद का शिकार बने हैं। बेटी की आवाज़ कांपती है, “तीन दिन से षड्यंत्र रचा जा रहा था, पापा को जानबूझकर निशाना बनाया गया।” जब एक मजिस्ट्रेट को भीड़ घसीट सकती है और पुलिस तमाशा देखती रहती है, तो यह सवाल पूरे तंत्र के लिए है - आखिर न्याय और आस्था की सीमाएं कौन तय करेगा ? पढ़ें विस्तार से -

कुल्लू (HD News): देवभूमि कहलाने वाले हिमाचल प्रदेश की पवित्र वादियों में इस बार दशहरा का मेला नहीं, बल्कि कानून की लाचारी का तमाशा देखने को मिला। जिला प्रशासन में तैनात तहसीलदार हरि सिंह यादव, जो जनता और सरकार के बीच न्याय की कड़ी हैं, उन्हें देवता के नाम पर भीड़ ने घसीटकर पीटा, और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। यह सिर्फ एक अधिकारी पर हमला नहीं, बल्कि पूरे शासनतंत्र की गरिमा पर चोट है।
तहसीलदार की बेटी ने मीडिया के सामने आकर कहा कि यह कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि पहले से रचा गया षड्यंत्र था। “पापा को देवता शिविर में सरकारी कार्य के लिए बुलाया गया था, लेकिन पिछले तीन दिन से उन्हें निशाना बनाने की योजना चल रही थी। मौके पर पुलिस भी थी, पर किसी ने मदद नहीं की।” बेटी की आंखों में गुस्सा और दर्द दोनों है। वह कहती है, “अगर एक मजिस्ट्रेट को भीड़ घसीट सकती है और पुलिस तमाशा देख सकती है, तो आम आदमी कितना सुरक्षित है?”

तहसीलदार हरि सिंह यादव कोई आम अधिकारी नहीं हैं। वे चालीस वर्षों से ईमानदारी, सेवा और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल रहे हैं। उनकी पत्नी रुकमणि यादव ने गहरी व्यथा के साथ कहा, “मेरे पति ने हमेशा ड्यूटी को धर्म माना। हर आपदा में सबसे आगे रहे। लेकिन आज वही अधिकारी देवता के नाम पर भीड़ का शिकार बना दिया गया। यह हमारे परिवार का नहीं, पूरे सिस्टम का अपमान है।”
रुकमणि यादव ने पुलिस की भूमिका पर तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दशहरा जैसे बड़े आयोजन में दर्जनों जवान तैनात रहते हैं, फिर भी ऐसी घटना कैसे हुई? वीडियो में साफ दिख रहा है कि कुछ लोग मेरे पति को घसीट रहे हैं, पर पुलिस ने उंगली तक नहीं हिलाई। एसपी और डीसी कुल्लू की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान न आने पर स्थानीय लोगों में भी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन अपने अधिकारियों की रक्षा नहीं कर सकता, तो जनता की सुरक्षा की गारंटी कैसे देगा?

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया। वीडियो में साफ दिखता है कि भीड़ तहसीलदार को घसीट रही है और पुलिस तमाशा देख रही है। सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे प्रशासन की सबसे बड़ी नाकामी बताया है। एक यूजर ने लिखा, “जब कानून का चेहरा ही असुरक्षित है, तो जनता किस पर भरोसा करे?” कई संगठनों ने इसे देवता संस्कृति की आड़ में फैलती अंधभक्ति का खतरनाक उदाहरण कहा है।

परिवार अब न्याय की गुहार लगा रहा है। बेटी ने कहा, “हम किसी से बदला नहीं चाहते, हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए। अगर आज दोषियों को सजा नहीं मिली, तो कल कोई अधिकारी ड्यूटी करने से डरेगा।” परिवार ने मुख्यमंत्री और उच्च प्रशासन से मांग की है कि निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि यह मामला केवल एक अधिकारी का नहीं, बल्कि हिमाचल की प्रशासनिक अस्मिता और आस्था की मर्यादा का है।

कुल्लू की इस घटना ने न केवल एक ईमानदार अधिकारी को जख्मी किया, बल्कि पूरे तंत्र की संवेदनशीलता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। जब कानून का प्रतिनिधि खुद भीड़ की हिंसा से नहीं बच पाता, तो यह समाज के लिए चेतावनी है - आस्था अगर अंधी हो जाए, तो न्याय, व्यवस्था और इंसानियत सब कुचल जाती है।
अब वक्त सिर्फ बयानबाज़ी का नहीं, कार्रवाई का है। अगर आज तहसीलदार हरि सिंह यादव को न्याय नहीं मिला, तो कल किसी और वर्दी, किसी और परिवार पर यही ज़ुल्म दोहराया जाएगा। देवभूमि की पहचान श्रद्धा और संस्कार से है, न कि भीड़ और हिंसा से। इस धरती की पवित्रता तभी बची रह सकती है, जब आस्था के नाम पर कानून तोड़ने वालों को यह समझ आ जाए कि देवता न्याय चाहते हैं, अत्याचार नहीं।
