महालक्ष्मी व्रत इस साल 10 सितंबर को रखा जाएगा. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है और जीवन में धन, यश और सफलता मिलती है और दरिद्रता दूर होती है. इस दिन गज लक्ष्मी यानी हाथी पर बैठी महालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.
महालक्ष्मी व्रत राधा अष्टमी से शुरू होता है और आश्विन मास में कृष्ण अष्टमी की तिथि तक चलता है. अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत का समापन माना जाता है. इस साल महालक्ष्मी व्रत का समापन 10 गुरुवार को होगा.
श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य वर्जित होते हैं. इस दौरान लोग नई वस्तुएं, नए परिधान नहीं खरीदते और ना ही पहनते हैं लेकिन इस पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है. इसे गजलक्ष्मी व्रत, महालक्ष्मी व्रत, हाथी पूजा भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन खरीदा सोना आठ गुना बढ़ता है. इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है.
मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा करते समय कोई गलती नहीं होनी चाहिए नहीं तो मां लक्ष्मी रूष्ट होकर आपके घर से चली जाती हैं.
पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी के आठों रूप- श्रीधन लक्ष्मी, श्रीगज लक्ष्मी, श्रीवीर लक्ष्मी, श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी मां, श्री विजय लक्ष्मी मां, श्री आदि लक्ष्मी मां, श्री धान्य लक्ष्मी मां और श्री संतान लक्ष्मी मां की पूजा करनी चाहिए.
पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र, सोने-चांदी के सिक्के और फल फूल रखें.
पूजन में पानी से भरे कलश को पान के पत्तों से सजाकर मंदिर में रखें और उसके ऊपर नारियल रखें. कलश के पास हल्दी से कमल बनाएं और उस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें.
बाजार से मिट्टी का हाथी लाएं और इसे सोने के आभूषणों से सजाएं.
मां लक्ष्मी के सामने श्रीयंत्र की स्थापना करें और उसकी पूजा करें.
फल और मिठाई अर्पित करें. सोना चांदी चढ़ाएं
इसके बाद मां लक्ष्मी के 8 रूपों की मंत्रों के साथ कुंकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें.