हमीरपुर: कोरोना वैक्सीन आने के बाद इसके पहले चरण के टीकाकरण में हम कई देशों से आगे चल रहे हैं। इस बीच कई ऐसे केस सामने आएं जिसमें फ्रंटलाइन कार्यकर्ता (Frontline worker) को वैक्सीन लगने के कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई। आंध्र प्रदेश, मणिपुर और देश के दूसरे हिस्सों से भी इस तरह की खबरे आती रही हैं।
ताजा मामला हिमाचल प्रदेश का
ताजा मामला हिमाचल प्रदेश का है। यहां के हमीरपुर जिले के सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के सौड्ड गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रोमिला देवी को प्रथम चरण में कोरोना वैक्सीन का टीका लगाया गया लेकिन वैक्सीन लगने के बाद महिला की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। उन्हें बाद में इलाज करने कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। लेकिन वहां पर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रोमिला देवी के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। तब प्रोमिला देवी की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे टांडा मेडिकल कॉलेज से आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया। जहां पिछले कल रविवार 5 बजे के करीब प्रोमिला देवी की मौत हो गई है। आपको बता दें कि लगभग 23 दिन पहले उन्हें कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी।
बताया जा रहा है कि रात तकरीबन 1:30 बजे प्रोमिला को शिमला आईजीएमसी लाया गया था। यहां उनकी हालत देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में रखा था लेकिन रविवार सुबह 5:30 बजे के करीब प्रोमिला की मौत हो गई। प्रोमिला को 29 जनवरी को कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी। इसके कुछ दिनों बाद उनकी तबीयत खराब हो गई थी। प्रोमिला देवी की मौत की पुष्टि हमीरपुर सीएमओ अर्चना सोनी ने की है। उन्होंने बताया कि शिमला आईजीएमसी में इलाज के दौरान प्रोमिला देवी की मौत हो गई है।
मणिपुर में भी हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत
वहीं शनिवार को मणिपुर से खबर आई थी कि वहां 48 वर्षीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक लगने के एक सप्ताह बाद हो गई। मणिपुर के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि बिश्नापुर जिले के कुम्बी तेरखा इलाके की डब्ल्यू सुंदरी देवी को 12 फरवरी को कुम्भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में कोविड -19 वैक्सीन का पहला शॉट मिला था। उसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई और बीते शनिवार को उनकी मौत हो गई।