जिस तरह जन्म और मृत्यु निश्चित है उसी तरह मृत्यु के बाद होने वाली कुछ घटनाएं भी निश्चित हैं ऐसा हिन्दू धर्म ही नहीं दूसरे धर्म के ग्रंथों में भी बताया गया है। इन ग्रंथों में बताया गया है कि मृत्यु अंतिम सत्य नहीं है क्योंकि मृत्यु के बाद भी जीव यानी आत्मा की यात्रा चलती रहती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद यम के दूत आत्मा को लेकर यमराज के दरबार में पहुंचते हैं। यहां व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा होता है और उन्हें वापस उस स्थान पर लाकर छोड़ दिया जाता है जहां व्यक्ति का मृत शरीर होता है।
व्यक्ति की आत्मा अपने शरीर और परिजनों को देखकर व्याकुल होता है और जब तक शरीर का अंतिम संस्कार नहीं हो जाता तब तक उस शरीर में वापस प्रवेश करने की इच्छा करता है।
अंतिम संस्कार के बाद आत्मा अपने परिजनों के आस-पास भटकता रहती है और परिजनों द्वारा किए गए पिंड दान के अंश को खाती है। तेरहवीं तक किए गए पिंड दान के अंश को खाने से आत्मा को एक सूक्ष्म शरीर प्राप्त होता है जो व्यक्ति के कर्मों को भोगने वाला होता है।