हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों की आड़ में चलाए जा रहे बेदखली अभियान के खिलाफ अब जनता खुलकर सड़कों पर उतर आई है। रोहड़ू में “हिमाचल किसान सभा” और “सेब उत्पादक संघ” के बैनर तले किसानों और आम नागरिकों ने जोरदार प्रदर्शन कर सरकार की नीतियों को गरीब विरोधी करार दिया। बेदखली की मार झेल रहे लोगों ने चेतावनी दी कि अगर समय रहते सरकार ने कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश में उग्र रूप ले सकता है।
रोहड़ू: 20 मई 2025; (HD News); प्रदेश की जनता को अपनी ही जमीन और घर से बेदखल करने की सरकारी मुहिम के खिलाफ आज रोहड़ू की सड़कों पर किसानों का गुस्सा साफ झलकता नजर आया। हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के संयुक्त आह्वान पर भारी संख्या में लोगों ने रोहड़ू में रैली निकालकर उपमंडल अधिकारी कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की नीति को गरीब और लघु किसानों के खिलाफ बताया और इसे 'जनविरोधी अभियान' करार दिया।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा, बुजुर्ग और प्रभावित परिवार शामिल रहे। मौके पर ही मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को संबोधित ज्ञापन भी प्रशासन को सौंपा गया।
नेताओं ने क्या कहा ?
सेब उत्पादक संघ राज्य कमेटी के सदस्य संजय चौहान और रमन थारटा ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार उच्च न्यायालय के आदेशों की आड़ में गरीबों के सिर से छत छीन रही है। “जिन लोगों के पास दो वक्त की रोटी मुश्किल से जुटती है, उनके घरों को सील किया जा रहा है। यह सीधा हमला है उनके जीवन के अधिकार पर, ” – संजय चौहान ने कहा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार न्यायालय में किसानों का पक्ष मजबूती से नहीं रख पाई, जिससे हालात और बिगड़ गए हैं।

प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
बेदखली व तालाबंदी पर तुरंत रोक लगे।
राज्य सरकार कोर्ट में किसानों का पक्ष मजबूती से रखे।
वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन कर राज्य को भूमि आवंटन का अधिकार मिले।
लघु किसानों की 5 बीघा तक की भूमि को नियमित किया जाए।
वन अधिकार अधिनियम 2006 को सख्ती से लागू किया जाए।
गरीबों को शहरी क्षेत्रों में 2 बिस्वा और ग्रामीण क्षेत्रों में 3 बिस्वा जमीन घर बनाने के लिए दी जाए।
प्राकृतिक आपदा प्रभावितों को त्वरित राहत व भूमि मिले।
गरीबों के ढारों व आजीविका स्रोतों को उजाड़ना बंद हो।
आंदोलन होगा और तेज
रोहड़ू में हुआ यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक स्थानीय आक्रोश नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के किसानों, गरीबों और वंचित वर्गों की आवाज है। सरकार को चाहिए कि वह संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत प्रभावी कदम उठाए, ताकि बेदखली, तालाबंदी और विस्थापन जैसे गंभीर मसलों का मानवीय समाधान निकल सके। यदि सरकार समय रहते ठोस निर्णय नहीं लेती, तो यह आंदोलन प्रदेशभर में और अधिक उग्र रूप ले सकता है।
