हिमाचल प्रदेश में बस किरायों में लगातार हो रही भारी बढ़ोतरी ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। पहले न्यूनतम किराया दोगुना किया गया और अब किलोमीटर दर व स्कूल बस पास शुल्क में बेतहाशा वृद्धि कर दी गई है। इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सड़क पर उतरने को तैयार है। पार्टी ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि यह फैसला तुरंत प्रभाव से वापिस नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर में जोरदार जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लगातार दूसरी बार बस किराए में की गई भारी बढ़ोतरी के खिलाफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इस निर्णय को जनविरोधी बताते हुए सरकार से तुरंत इसे वापिस लेने की मांग की है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने यह फैसला वापिस नहीं लिया तो प्रदेशभर में जनांदोलन छेड़ा जाएगा।
माकपा राज्य सचिव संजय चौहान ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि पहले सरकार ने न्यूनतम किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए कर दिया था, जो 100% की वृद्धि है। इसके बाद अब फिर से 15% की वृद्धि कर, मैदानी क्षेत्रों में बस का प्रति किलोमीटर किराया 1.40 रुपए से बढ़ाकर 1.60 रुपए और पहाड़ी क्षेत्रों में 2.19 रुपए से बढ़ाकर 2.50 रुपए कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी 0.20 से लेकर 0.68 रुपए प्रति किलोमीटर तक है।
बस किराया वृद्धि का तुलनात्मक चार्ट (पहले और अब)

स्कूल बसों के किराए में तीन गुना उछाल
पार्टी ने बताया कि अक्टूबर 2024 तक जहां 0-5 किलोमीटर के लिए स्कूल बस पास 600 रुपए प्रति माह था, वहीं अब उसे बढ़ाकर 1800 रुपए कर दिया गया है। यही नहीं, कई क्षेत्रों में यह दर 2500 रुपए तक पहुंच चुकी है, जो अभिभावकों पर बड़ा आर्थिक बोझ है।
सरकार निजीकरण को दे रही बढ़ावा
माकपा ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार भी केंद्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी नीतियों का अनुसरण कर रही है और सार्वजनिक परिवहन जैसे क्षेत्र को भी निजी हाथों में सौंपने का रास्ता खोल रही है। एचआरटीसी के पास जहां अब मात्र 3150 बसें और 2573 रूट रह गए हैं, वहीं निजी ऑपरेटरों के पास 8300 बसें और अधिकांश मुनाफे वाले रूट हैं।

शहरों में बढ़ेगा ट्रैफिक और प्रदूषण
पार्टी का कहना है कि इस किराया वृद्धि का असर शहरी इलाकों में विशेष रूप से देखने को मिलेगा। राजधानी शिमला जैसे शहरों में लोग अब स्कूल और ऑफिस के लिए निजी वाहनों का इस्तेमाल करेंगे जिससे ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या और बढ़ेगी। अकेले शिमला में ही 500 से ज्यादा गाड़ियां रोज सड़कों पर अतिरिक्त उतरने का अनुमान है।
माकपा की मांग और चेतावनी
पार्टी ने मांग की है कि सरकार इस जनविरोधी निर्णय को तुरंत वापिस ले और एचआरटीसी को मजबूत कर जनता को सस्ती व विश्वसनीय परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाए। साथ ही चेतावनी दी कि अगर सरकार ने तुरंत फैसला वापिस नहीं लिया तो आम जनता को साथ लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बता दें कि सरकार द्वारा बस किरायों में की गई बेतहाशा बढ़ोतरी न केवल आम लोगों की आर्थिक परेशानियों को बढ़ाने वाली है, बल्कि यह परिवहन के सार्वजनिक ढांचे को कमजोर कर निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की दिशा में एक खतरनाक कदम है। माकपा का स्पष्ट संदेश है कि जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाली इस नीति को सरकार अविलंब वापिस ले, अन्यथा जनता को साथ लेकर पार्टी प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी। परिवहन जैसी मूलभूत सेवा पर बाजारवादी नजरिया अपनाना, जनकल्याणकारी राज्य की आत्मा के खिलाफ है – और माकपा इसके खिलाफ हर मोर्चे पर संघर्ष करेगी।
