हिमाचल प्रदेश में चर्चित विमल नेगी आत्महत्या मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस संवेदनशील मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है। इस फैसले ने जहां मामले की गंभीरता को उजागर किया है, वहीं सरकार के भीतर से भी इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। प्रदेश के राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने सीबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए इस जांच एजेंसी को खुद एक "प्रश्नचिह्न" करार दिया है।
शिमला (HD News): हाईकोर्ट द्वारा विमल नेगी आत्महत्या मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपे जाने पर प्रदेश के राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सीबीआई खुद अपने आप में एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है और इसकी निष्पक्षता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं।
मंत्री ने कहा, "हाईकोर्ट ने अगर सीबीआई को जांच सौंपी है तो उन्होंने कुछ सोचकर ही किया होगा, लेकिन सीबीआई की विश्वसनीयता पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। गुड़िया कांड में भी सीबीआई जांच से क्या निकला? सुप्रीम कोर्ट तक सीबीआई को 'तोता' कह चुका है। पिछले 11 वर्षों में इसकी स्थिति और भी संदिग्ध हो गई है। बीजेपी ने उस समय खूब शोर मचाया, लेकिन परिणाम क्या निकला, सबके सामने है।"

जगत नेगी ने दावा किया कि इस मामले में एसआईटी पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ जांच कर रही थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं देखा है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अदालत ने किन आधारों पर मामला सीबीआई को सौंपा।
उन्होंने आगे कहा कि पुलिस, एसआईटी और एसीएस (रेवेन्यू) विभाग ने इस मामले में ईमानदारी से काम किया है। "हमारी सरकार की मंशा पारदर्शी जांच की है, और हमने किसी तरह की कोई रुकावट नहीं डाली है, " उन्होंने जोड़ा।
विमल नेगी आत्महत्या मामला अब एक साधारण जांच से आगे बढ़कर एक संवैधानिक, राजनीतिक और संस्थागत बहस का विषय बन गया है। हाईकोर्ट ने जहां इसे सीबीआई को सौंप कर गंभीरता दिखाई है, वहीं सरकार के वरिष्ठ मंत्री की आलोचना ने जांच एजेंसियों की साख पर सवाल खड़ा कर दिया है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सीबीआई निष्पक्ष जांच कर पाएगी, या यह मामला भी पुराने बहुचर्चित मामलों की तरह न्याय की भूल-भुलैया में गुम हो जाएगा?
SIT की अब तक की जांच, पुलिस व प्रशासन की भूमिका, और अब सीबीआई की नई चुनौती—इन सबके बीच सच्चाई कहां दबी रह जाएगी, यह देखना बाकी है। लेकिन जो तय है, वह यह कि विमल नेगी की मौत अब सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं रही, यह सिस्टम पर अविश्वास और जवाबदेही की बड़ी परीक्षा बन चुकी है।