बाड़ीधार मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का जीवंत उदाहरण भी है। महाभारत काल की गूंज लिए यह मेला हर वर्ष पांडवों की याद और उनकी आस्था को समर्पित रहता है।
अर्की (HD News): हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला स्थित अर्की उपमंडल के प्रसिद्ध बाड़ीधार मंदिर परिसर में रविवार को पारंपरिक बाड़ेश्वर देव मेला पूरे श्रद्धा, उत्साह और धार्मिक आस्था के साथ मनाया गया। इस वार्षिक मेले में महाभारत कालीन पांच पांडवों के प्रतीक स्वरूपों का भव्य मिलन मुख्य आकर्षण बना रहा।
सुबह से ही साफ मौसम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूर-दराज़ से आए लोग देवदर्शन और मेले में भाग लेने बाड़ीधार पहुंचे।

बाड़ीधार: बाड़ेश्वर महादेव मंदिर में देव मिलन का भव्य आयोजन
सारमा से युधिष्ठिर, दयोथल से अर्जुन, बुईला से भीम, अंदरोली से नकुल और भैल गांव से सहदेव के प्रतीक रूपी निशान (पूज) बाड़ीधार मंदिर में पहुंचे। जैसे ही ये पांचों प्रतीक स्वरूप एक ही स्थान पर एकत्रित हुए, जयघोषों से वातावरण गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने इस दिव्य दृश्य का स्वागत किया।

धार्मिक मान्यता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास का अंतिम वर्ष इसी क्षेत्र में बिताया था, इसीलिए हर वर्ष यह मेला आयोजित होता है। इस बार भी शिमला, सोलन, बिलासपुर, हमीरपुर सहित प्रदेश के कोने-कोने से हज़ारों श्रद्धालु शामिल हुए। मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन भी किया गया, जहाँ श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
समुद्र तल से 6, 781 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह भगवान शिव को समर्पित बाड़ीधार मंदिर, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक विशिष्ट पहचान रखता है।
बाड़ीधार मेला न केवल धार्मिक श्रद्धा का पर्व है, बल्कि यह सामाजिक एकजुटता, सांस्कृतिक समरसता और ऐतिहासिक विरासत को भी जीवंत रखता है। पांच पांडवों का प्रतीक मिलन एक बार फिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना और हिमाचल की समृद्ध परंपरा को गौरवान्वित किया।