शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में इस बार सामान्य से अधिक हुई बारिश ने सेब बागवानों की कमर तोड़ दी है। भारी बारिश से जहां बागानों में पत्तियां समय से पहले झड़ गईं, वहीं बड़े पैमाने पर फ्रूट ड्रॉप होने से बगीचों में झड़े सेबों के ढेर लग गए। इससे न तो सेब का अच्छा साइज बन पाया और न ही क्वालिटी फ्रूट तैयार हो सका।
समय से पहले हुआ लीफ फॉल
विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर सेब के बगीचों में लीफ फॉल 15 सितंबर के बाद होता है, लेकिन इस बार जुलाई के अंत से ही पत्तियां झड़ने लगीं। पत्तियां पौधों और फलों के लिए भोजन तैयार करने का काम करती हैं। ऐसे में समय से पहले पत्ते झड़ने से फलों का आकार छोटा रह गया और क्वालिटी भी प्रभावित हुई।

सेब उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि "अर्ली लीफ फॉल की वजह से इस बार सेब का साइज नहीं बन पाया। साथ ही ड्रॉपिंग इतनी ज्यादा हुई कि बागवानों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।"
बीमारियों ने भी बढ़ाया संकट
बागवानों कहना है कि सामान्य से अधिक बारिश के कारण इस बार बगीचों में कई तरह की बीमारियां फैलीं। अल्टरनेरिया और मार्सोनिना तो हर साल नुकसान करती ही हैं, लेकिन इस बार ब्लाइट ने भी सेब की फसल को प्रभावित किया।
प्रोग्रेसिव ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट बताया कि - "अत्यधिक बारिश से रूट सिस्टम स्टैंडिंग वाटर को सहन नहीं कर पाया। ऐसे में दवाइयां भी असर नहीं कर पाईं। फंगल डिजीज इस बार सीधे फल तक पहुंच गई, जिससे पूरे प्रदेश में नुकसान हुआ है।"
बागवानों की पीड़ा
ठियोग के बागवान देवेंद्र वर्मा ने बताया कि "हर साल पत्तियां 15 सितंबर के बाद झड़ती थीं, लेकिन इस बार जुलाई के आखिरी हफ्ते में ही झड़ गईं। इससे फल का आकार छोटा रह गया और लाखों का नुकसान हुआ।"
मौसम विभाग की रिपोर्ट
मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में इस बार पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 32 प्रतिशत अधिक और सिर्फ अगस्त महीने में ही 62 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई। इतनी भारी बारिश के कारण प्रदेशभर में सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है।