शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आउटसोर्स कर्मचारियों को अचानक छह दिन का ब्रेक दिए जाने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। यह मामला तब सामने आया जब विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) के अध्यक्ष डॉ. नितिन व्यास ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कर्मचारियों के साथ हुए इस व्यवहार को अन्यायपूर्ण और अमानवीय करार दिया।

कर्मचारियों में भारी आक्रोश
विश्वविद्यालय में इस समय लगभग 200 कर्मचारी आउटसोर्स के माध्यम से कार्यरत हैं, जिनमें से कई आठ-दस साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हपुटवा ने बताया कि पहले भी जब आउटसोर्स कंपनियों का एग्रीमेंट रिन्यू होता था, तो कर्मचारियों की सेवाएं बिना किसी रुकावट के जारी रहती थीं। लेकिन इस बार पहली बार कर्मचारियों को छह दिन का ब्रेक थमा दिया गया है। अचानक लिए गए इस फैसले ने कर्मचारियों के बीच भारी असंतोष पैदा कर दिया है।
त्योहारों के बीच बड़ा झटका
हपुटवा अध्यक्ष डॉ. व्यास ने कहा कि त्योहारों के समय कर्मचारियों की सेवाएं खत्म करने का फरमान जारी करना उनके परिवारों के लिए बड़ा झटका है। न तो कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही नोटिस, बल्कि सीधे आदेश देकर उन्हें असमंजस की स्थिति में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल कर्मचारियों के साथ अन्याय है, बल्कि उनके जीवन की खुशियों को भी छीनने वाला है।

कामकाज पर पड़ा असर
संघ ने बताया कि विश्वविद्यालय का फैकल्टी हाउस और कंस्ट्रक्शन विंग जैसे कई विभाग पूरी तरह आउटसोर्स कर्मचारियों पर निर्भर हैं। उनकी अनुपस्थिति से कामकाज पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। हपुटवा का कहना है कि इन कर्मचारियों को नजरअंदाज कर विश्वविद्यालय की व्यवस्था को ठप करना किसी भी तरह सही कदम नहीं है।

संघ कर्मचारियों के साथ
हपुटवा ने साफ किया कि शिक्षक इस मुश्किल समय में आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ खड़े हैं। संघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कड़े शब्दों में मांग की है कि सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को तुरंत बहाल किया जाए, ताकि कामकाज सामान्य हो सके और कर्मचारियों की जिंदगी में आई परेशानी खत्म हो।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर खड़ा हुआ यह विवाद अब शिक्षक संघ के समर्थन से और भी गंभीर हो गया है। कर्मचारियों के परिवारों पर त्योहारों के समय पड़े इस संकट ने विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हपुटवा ने साफ कहा है कि अगर कर्मचारियों को शीघ्र ही बहाल नहीं किया गया तो संघ चुप नहीं बैठेगा
