विजयदशमी के अवसर पर शिमला का ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर आस्था, रंगों और संस्कृति से सराबोर हो गया। मां दुर्गा की विदाई के भावुक क्षणों में मंदिर प्रांगण में बंगाली महिलाओं ने परंपरागत ‘सिंदूर की होली’ खेली और मंगल गीतों व नृत्य के साथ मां को अलविदा कहा। यह दृश्य जहां एक ओर भक्तों की आंखें नम कर गया, वहीं दूसरी ओर परंपरा और एकता का अद्भुत संदेश भी दे गया। पढ़ें विस्तार से -
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का कालीबाड़ी मंदिर, बंगाली संस्कृति और दुर्गा पूजा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां हर साल शारदीय नवरात्रों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। छठे नवरात्र से मंदिर में मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। नवरात्र भर पूजा-अर्चना और भक्ति गीतों का माहौल बना रहता है।

दशमी के दिन मूर्तियों के विसर्जन से पहले एक विशेष रस्म निभाई जाती है जिसे ‘सिंदूर खेला’ या सिंदूर की होली कहा जाता है। इस परंपरा के तहत विवाहित महिलाएं एक-दूसरे और मां दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं। इसे सौभाग्य, पति की लंबी उम्र, परिवार की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
"सिंदूर की होली और मां दुर्गा की विदाई – कालीबाड़ी, शिमला"
आज विजयदशमी पर मंदिर में जब महिलाओं ने सिंदूर की होली खेली तो पूरा वातावरण लाल आभा से रंग गया। मंगल ध्वनियों, ढाक की थाप और पारंपरिक नृत्य के बीच मां दुर्गा को भावभीनी विदाई दी गई। बंगाली समुदाय की महिलाओं ने कहा कि यह केवल एक रस्म नहीं बल्कि सामूहिक सौहार्द, संस्कृति और एकता का प्रतीक है।

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में यह नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक भी पहुंचे। श्रद्धालुओं ने बताया कि विजयदशमी के इस अवसर पर आस्था और परंपरा का ऐसा संगम कहीं और देखने को नहीं मिलता।
