हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है। मौसम विभाग द्वारा जारी रेड अलर्ट के चलते आज शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, मंडी, ऊना और कुल्लू-मनाली डिवीजन में सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। वहीं चंबा और भरमौर में मणिमहेश यात्रा पर आए करीब 1500 श्रद्धालु फंसे हुए हैं। प्रशासन ने लोगों से अनावश्यक यात्रा न करने की चेतावनी दी है और सुरक्षा उपायों का पालन करने का निर्देश दिया है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। मौसम विभाग द्वारा जारी रेड अलर्ट के बाद राज्य के कई जिलों में आज 1 सितंबर को सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, मंडी, ऊना और कुल्लू-मनाली सब डिवीजन में सरकारी और निजी कॉलेज, नर्सिंग संस्थान, पॉलीटेक्निक, आईटीआई, व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे।
हालांकि आवासीय कॉलेज और मेडिकल/स्वास्थ्य संस्थान इन आदेशों से बाहर रखे गए हैं। डीसी ने साफ किया है कि यह कदम विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए उठाया गया है। लोगों से अपील की गई है कि भारी बारिश के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचें और प्रशासनिक आदेशों का पालन करें।

गौरतलब है कि विद्यार्थियों को छुट्टी दी गई है, लेकिन शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ को पूर्व आदेशों के अनुसार संस्थानों में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण चंबा और भरमौर उपमंडल में हालात गंभीर हैं। प्रशासन के अनुसार, करीब 1500 मणिमहेश यात्री अब भी फंसे हुए हैं। होली क्षेत्र में मंडी और दिल्ली से आए 35 श्रद्धालु सड़कें बंद होने के चलते पैदल ही भरमौर के लिए रवाना हुए हैं।
इसी बीच लाहौल के त्रिलोकीनाथ मंदिर सराय में 32 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, अभी भी फंसे हुए हैं। जिले से पिछले तीन दिनों में करीब 12 हजार श्रद्धालु सुरक्षित रूप से नूरपुर, पठानकोट और भद्रवाह के लिए रवाना हो चुके हैं।
भारी बारिश और खराब मौसम के चलते हिमाचल में हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। प्रशासन ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए स्कूल-कॉलेज बंद किए हैं और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। मणिमहेश यात्रा पर फंसे श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने के प्रयास लगातार जारी हैं। जनजीवन प्रभावित होने के बावजूद प्रशासन की सतर्कता और लोगों की सतर्कता ही इस आपदा में सुरक्षा की कुंजी बन रही है।