शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र जारी है और सत्र का 11वां दिन सरकार व विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक का गवाह बना। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने सदन के भीतर आपदा पर अपना वक्तव्य दिया, लेकिन सदन से बाहर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार और मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया।
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि आपदा के दौर में हिमाचल सरकार पूरी तरह फेल नजर आई। उन्होंने कहा कि जब चंबा में आपदा ने तबाही मचाई, तब मुख्यमंत्री बिहार में राजनीतिक कार्यक्रम में व्यस्त थे। जयराम ठाकुर ने कटाक्ष किया कि सदन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के आपदा से जुड़े आंकड़े भी मेल नहीं खाते, जिससे सरकार की गंभीरता पर सवाल उठते हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चंबा में हालात बेहद खराब हैं, हजारों लोग फंसे रहे और सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। श्रद्धालु भरमौर से पैदल लौटने को मजबूर हुए। उन्होंने कहा कि सरकार ने हेलीकॉप्टर का सही इस्तेमाल नहीं किया और आर्मी की मदद लेने में भी देरी की गई।
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों की पीठ थपथपाने में व्यस्त रहे, जबकि जमीनी हालात बिल्कुल अलग थे। उन्होंने कहा कि मणिमहेश यात्रा हर साल जोखिम भरी रहती है, लेकिन इस बार सरकार ने कोई ठोस प्रबंध नहीं किए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मंडी जिले में भारी नुकसान हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री उसे सदन में जिक्र करने से भी बचते रहे। उन्होंने साफ कहा कि मुख्यमंत्री को राजनीतिक लाभ लेने की बजाय राहत कार्यों में पूरी गंभीरता दिखानी चाहिए।
सत्र को तीन दिन बढ़ाने के प्रस्ताव पर जयराम ठाकुर ने ऐतराज जताते हुए कहा कि विपक्ष इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की प्राथमिकता आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों की मदद करना है, न कि राजनीतिक बहस को लंबा खींचना।
हालांकि, विपक्ष ने सदन के भीतर हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के संकल्प का समर्थन किया, लेकिन साथ ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि राहत और बचाव कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी।