धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक धर्मशाला के निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया है। बिगड़ती प्रशासनिक स्थिति, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और नाबार्ड के कानूनी दिशा-निर्देशों की लगातार अवहेलना के चलते यह कार्रवाई की गई है। रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी ने मंडलायुक्त कांगड़ा विनोद कुमार को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है। साथ ही बैंक की 1 अगस्त से शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया को भी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।
बैंक के चेयरमैन कुलदीप सिंह पठानिया सहित 20 निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 10 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।
धारा 37 के तहत कड़ी कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश सहकारी समितियां अधिनियम 1968 की धारा 37 के अंतर्गत बैंक के निदेशक मंडल के मौजूदा सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इन पर वैध निर्देशों की लगातार अवज्ञा करने का आरोप है। आरबीआई, नाबार्ड और रजिस्ट्रार सहकारी समितियां कार्यालय ने निदेशक मंडल के आचरण पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
इन निदेशकों को न केवल धारा 37(1)(ए) के तहत पद से हटाए जाने का खतरा है, बल्कि धारा 37(6) के तहत भविष्य के चुनावों से अयोग्य ठहराए जाने का भी सामना करना पड़ सकता है।

वित्तीय अनियमितताओं की लंबी लिस्ट
पंजीयक की ओर से जारी नोटिस के अनुसार वर्ष 2015-16 से लेकर 2024 तक नाबार्ड की निरीक्षण रिपोर्टों में लगातार गंभीर वित्तीय अनियमितताएं और कानूनी उल्लंघन सामने आए हैं।
बैंक पर प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:
वित्तीय गिरावट : 767.45 करोड़ की परिसंपत्तियों में क्षरण और 11.34 करोड़ के प्रावधान व लाभ में कमी।
एनपीए में वृद्धि : सकल एनपीए 23.45% और शुद्ध एनपीए 8.81% – जो अनुमेय सीमा 5% से कहीं अधिक।
अनधिकृत ऋण वितरण : बैंक की अधिसूचित क्षेत्र से बाहर 1090 ऋण स्वीकृत, जिनमें 80% ऋण एनपीए में बदले।
अनुपालन में चूक : आरबीआई और नाबार्ड दिशा-निर्देशों की अवहेलना, केवाईसी, एएमएल, सीएफटी में गंभीर कमियां।
धोखाधड़ी और आंतरिक नियंत्रण की कमी : 20.99 करोड़ रुपये की 241 धोखाधड़ी के मामले लंबित, कई मामलों की रिपोर्टिंग ही नहीं की गई।
प्रबंधन की खामियां : एनपीसीआई और आरबीआई द्वारा लगाए गए जुर्माने, बैंकिंग सेवाओं में बाधा और स्टाफ से जुड़े अनुचित निर्णय।
चुनाव प्रक्रिया स्थगित
बैंक के निदेशक मंडल का कार्यकाल पूरा होने के चलते नई चुनावी प्रक्रिया 1 अगस्त से शुरू हुई थी। लेकिन प्रदेश में जारी प्राकृतिक आपदा और बाढ़ की स्थिति के चलते तथा मंडल के खिलाफ कार्रवाई लंबित रहने के कारण इस चुनाव को भी रोक दिया गया है। अब चुनाव तभी कराए जाएंगे जब मौजूदा कार्यवाही पूरी होगी और हालात सामान्य होंगे। कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिले बैंक के संचालन क्षेत्र में आते हैं, जो इस समय भारी बारिश और बादल फटने से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
नोटिस में नामजद 20 निदेशक
कारण बताओ नोटिस प्राप्त करने वालों में चेयरमैन कुलदीप सिंह पठानिया के अलावा ये निदेशक शामिल हैं – प्रेम लता ठाकुर, करनैल सिंह, रणजीत सिंह राणा, आत्म प्रकाश, हितेश्वर सिंह, करण सिंह, लेख राज, पवन कुमार, बलवंत सिंह, चम्पा छेरिंग, चंद्र भूषण नाग, देश राज ठाकुर, कुलबिंदर राणा, प्रीतम सिंह, राजीव कुमार महाजन, वीरेंद्र गुलेरिया, मोती जोशी, सुनील कुमार और भरत भूषण मोहिल।
कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक का निदेशक मंडल इस समय गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और कानूनी उल्लंघनों के आरोपों का सामना कर रहा है। सरकार और रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी की कार्रवाई के बाद अब यह देखना होगा कि 10 दिन में निदेशक मंडल अपने जवाब से कितनी सफाई पेश कर पाता है। फिलहाल बैंक का संचालन प्रशासक के हाथों में चला गया है।