हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत सस्ते राशन पाने वाले लोगों पर अब सरकार की पैनी नजर है। केंद्र सरकार ने प्रदेश को 5 लाख से अधिक संदिग्ध उपभोक्ताओं की सूची भेजी है, जिसमें गाड़ी रखने वाले, ज्यादा जमीन वाले, पक्का मकान बनाने वाले और छह माह से अधिक समय से राशन न लेने वाले लोग शामिल हैं। खाद्य आपूर्ति और ग्रामीण विकास विभाग को इन मामलों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। जांच पूरी होने के बाद अपात्र लोगों को योजना से बाहर कर दिया जाएगा। पढ़ें विस्तार से -
शिमला: हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मिलने वाले सस्ते राशन को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने प्रदेश को 5 लाख से अधिक संदिग्ध उपभोक्ताओं की सूची भेजी है और इन्हें एनएफएसए से बाहर करने की तैयारी शुरू हो गई है। इस सूची में उन परिवारों के नाम शामिल हैं जिनके पास गाड़ी, अधिक जमीन, पक्का मकान है या जो पिछले छह माह से राशन नहीं ले रहे। इसके साथ ही दो जगह से राशन लेने वाले और टैक्स भरने वाले लोग भी इस जांच के दायरे में आएंगे।

केंद्र सरकार का मानना है कि सरकारी सब्सिडी का लाभ केवल उन्हीं परिवारों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। फिलहाल बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं जो पात्रता की शर्तें पूरी नहीं करते। इसी वजह से केंद्र ने राज्यों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। हिमाचल में खाद्य आपूर्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को इन संदिग्ध उपभोक्ताओं की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। खाद्य आपूर्ति विभाग छह माह से राशन न लेने वाले, दो जगह से राशन लेने वाले, गाड़ी रखने वालों और टैक्स देने वालों की जांच करेगा। वहीं ग्रामीण विकास विभाग अधिक जमीन और पक्का मकान रखने वालों की रिपोर्ट तैयार करेगा।
इस समय हिमाचल प्रदेश में करीब सात लाख राशन कार्ड धारक एनएफएसए के तहत सस्ते राशन का लाभ ले रहे हैं। इसमें प्रत्येक सदस्य को दो किलो चावल मुफ्त, 2.8 किलो आटा ₹1.20 प्रति किलो की दर से, चीनी ₹13 प्रति किलो और दालें व रिफाइंड तेल एपीएल से ₹10 सस्ता उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार का कहना है कि यह सुविधा केवल गरीब और जरूरतमंद परिवारों तक सीमित होनी चाहिए।
सोलन जिले का मामला :
सोलन जिले में ही 35 हजार से अधिक उपभोक्ताओं के नाम संदिग्ध सूची में आए हैं। जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक श्रवण हिमालयन ने बताया कि विभाग अब गाड़ी रखने वालों, पक्का मकान और ज्यादा जमीन वालों समेत छह माह से राशन न लेने वालों की जांच करेगा। जो भी लोग अपात्र पाए जाएंगे, उन्हें सूची से बाहर कर दिया जाएगा और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी जाएगी।
यह कदम निश्चित रूप से उन गरीब और वंचित परिवारों के हित में है जो वास्तव में सरकारी सब्सिडी पर निर्भर हैं। अपात्र लोगों को हटाने से योजना का लाभ सीधे सही जरूरतमंदों तक पहुंचेगा। अब देखना होगा कि जांच पूरी होने के बाद कितने परिवार इस योजना से बाहर किए जाते हैं और कितनों को राहत मिलती है।
केंद्र सरकार का यह निर्णय हिमाचल में सस्ते राशन प्रणाली को पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे अपात्र लोगों को बाहर कर गरीबों और जरूरतमंदों को सही लाभ मिल सकेगा।
डिस्क्लेमर: यह खबर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और विभागीय अधिकारियों से प्राप्त आधिकारिक जानकारी पर आधारित है। जांच के बाद ही अंतिम रूप से तय होगा कि किन परिवारों को एनएफएसए की सूची से बाहर किया जाएगा।