हिमाचल में बढ़ते नशे के खतरे को देखते हुए अब समाज ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। प्रदेश के सात जिलों की 16 स्वयंसेवी संस्थाएं ‘संजीवनी’ संस्था के बैनर तले एकजुट होकर चिट्टा मुक्त हिमाचल अभियान की शुरुआत कर चुकी हैं। यह पहल केवल नशे के खिलाफ लड़ाई नहीं, बल्कि युवाओं को नई राह दिखाने और समाज को जागरूक करने का संकल्प है। इस अभियान के जरिए हजारों लोगों तक सीधा संदेश पहुंचाकर नशामुक्त समाज की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: (HD News); प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे चिट्टे और नशे के बढ़ते दुष्प्रभावों के खिलाफ अब एक मजबूत जन आंदोलन शुरू हो गया है। शिमला में आयोजित एक विशेष बैठक में सात जिलों की 16 स्वयंसेवी संस्थाएं एकजुट होकर ‘संजीवनी’ संस्था के बैनर तले एक चिट्टा मुक्त हिमाचल अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर संस्था के पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया।

संजीवनी संस्था के अध्यक्ष महेंद्र धर्माणी ने कहा कि चिट्टा और अन्य नशे की लत हिमाचल के युवाओं को खोखला कर रही है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में नशे की स्थिति बेहद चिंताजनक हुई है। वर्ष 2014 में जहां मात्र 57.4 ग्राम चिट्टा पकड़ा गया था, वहीं 2024 में सिर्फ 11 महीनों में ही 16 किलो से अधिक चिट्टा बरामद हुआ। गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह मात्रा असली खपत का केवल 2 से 3 प्रतिशत ही होती है, जिससे असली स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 25 सितंबर से 25 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान स्वयंसेवी संस्थाएं कम से कम 5, 000 लोगों से सीधा संवाद करेंगी और उन्हें नशामुक्ति से जोड़ने का प्रयास करेंगी। साथ ही नवंबर के पहले सप्ताह में राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, खिलाड़ी, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद और अधिकारी भाग लेंगे।
महेंद्र धर्माणी ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को नशे की दलदल से बाहर निकालना और उन्हें सकारात्मक जीवन की ओर प्रेरित करना है। उन्होंने पुलिस-प्रशासन से भी अपील की कि वे केवल छोटे अपराधियों को पकड़ने के बजाय बड़े नेटवर्क और सप्लाई चेन पर सख्त कार्रवाई करें।
संस्था का स्पष्ट संदेश है कि जब तक प्रदेश पूरी तरह से नशामुक्त नहीं हो जाता, तब तक यह अभियान लगातार चलता रहेगा। चिट्टा मुक्त हिमाचल अभियान से जुड़े सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों का मानना है कि यह पहल प्रदेश में एक नई चेतना और सकारात्मक बदलाव लेकर आएगी।

बैठक में 16 एनजीओ ने मिलकर संजीवनी मातृ संस्था की संचालन कमेटी का गठन किया। संस्था के मुख्य सलाहकार ओपी शर्मा और सलाहकार जोगिंदर कंवर होंगे। अध्यक्ष की जिम्मेदारी महेंद्र कुमार को सौंपी गई है, जबकि महासचिव नरेश शर्मा होंगे। उपप्रधान के रूप में डॉ. नितिन व्यास, सुरेंद्र ठाकुर, डॉ. जोगिंदर सकलानी, टिक्कू ठाकुर, संजीव शर्मा और रतन ठाकुर का चयन किया गया। सचिव पद पर मनीष कुमार, संदीप ऑक्टा, देवेंद्र ठाकुर, प्रदीप शर्मा, अजय शर्मा और संजीव रहेंगे। संस्था के कोषाध्यक्ष डीपी शर्मा होंगे तथा कार्यालय सचिव की जिम्मेदारी राजू ठाकुर को दी गई है। सहायक मीडिया इंचार्ज कमल ठाकुर, सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर कैप्टन अतुल शर्मा और मनोज होंगे। संस्था के कानूनी सलाहकार पीयूष वर्मा होंगे। आज की बैठक में मौजूद सभी सदस्य संस्थापक सदस्य माने जाएंगे।
‘संजीवनी’ संस्था और हिमाचल की 16 स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा शुरू किया गया यह अभियान प्रदेश में नशे के खिलाफ चल रही लड़ाई को नई दिशा देगा। युवाओं को जागरूक कर और समाज को एकजुट कर यह पहल निश्चित ही एक बड़ा बदलाव लाएगी। नशे के दुष्प्रभावों से जूझ रहे परिवारों के लिए यह मुहिम नई उम्मीद जगाती है। यदि समाज, सरकार और प्रशासन मिलकर इस प्रयास को आगे बढ़ाते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब हिमाचल वास्तव में चिट्टा मुक्त और नशामुक्त प्रदेश के रूप में पहचान बनाएगा।
