राजधानी शिमला में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि लोग सड़कों पर सुरक्षित निकलने से भी डरने लगे हैं। आए दिन डॉग बाइट और बंदरों के हमलों की घटनाओं ने नागरिकों का जीना दुश्वार कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर अब लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आ रहा है और नगर निगम के खिलाफ जनाक्रोश भड़कने लगा है। सोमवार को शिमला नागरिक सभा ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन कर निगम प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह आंदोलन जनांदोलन का रूप ले लेगा। पढ़ें पूरी खबर..

निगम के खिलाफ सड़क पर उतरे लोग! शिमला में कुत्तों और बंदरों पर भड़का जनाक्रोश, लोगों ने निगम को दी सख्त चेतावनी

शिमला: (HD News); राजधानी शिमला में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन हो रही डॉग बाइट और बंदरों के हमलों से लोग दहशत में जी रहे हैं। इस समस्या से परेशान नागरिक अब सड़कों पर उतर आए हैं। सोमवार को शिमला नागरिक सभा ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान सभा के सदस्यों ने नारेबाजी की और शहर को कुत्तों व बंदरों के खतरे से मुक्त कराने की मांग उठाई।

सभा अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर ने कहा कि आवारा कुत्तों और बंदरों की बढ़ती संख्या शहरवासियों की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत नगर निगम को आवारा कुत्तों के लिए हट्स बनाने चाहिए, ताकि उन्हें आबादी वाले क्षेत्रों से अलग रखा जा सके। साथ ही धार्मिक आस्था के नाम पर खुले में कुत्तों को खाना खिलाने वालों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

सभा ने चेतावनी दी कि यदि नगर निगम ने जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो आंदोलन को जनांदोलन का रूप दिया जाएगा। जगमोहन ठाकुर ने बताया कि सोमवार को निगम की मासिक बैठक में पार्षदों को ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
नागरिक सभा ने स्पष्ट किया कि अब यह केवल शिकायत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जनहित को देखते हुए शहर को बंदरों और आवारा कुत्तों के खतरे से सुरक्षित बनाने के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा।

स्पष्ट है कि शिमला में कुत्तों और बंदरों की समस्या केवल प्रशासनिक बैठक और आश्वासनों से हल नहीं होने वाली। नागरिक अब ठोस कार्रवाई की मांग पर अडिग हैं। यदि नगर निगम और प्रशासन समय रहते ठोस कदम नहीं उठाते, तो यह विरोध आंदोलन शहरव्यापी जनांदोलन का रूप ले सकता है, जिससे सरकार और निगम दोनों के लिए स्थिति संभालना कठिन हो जाएगा।
