राजधानी शिमला में बंदरों का आतंक एक बार फिर जानलेवा साबित हुआ है। मॉल रोड और लोअर बाज़ार के प्रमुख कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाली 71 वर्षीय मधु कोमर की मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। 18 सितम्बर को बंदर के हमले में घायल होने के बाद उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया और आखिरकार 29 सितम्बर को आईजीएमसी शिमला में उन्होंने अंतिम सांस ली। यह घटना न सिर्फ एक परिवार की गहरी त्रासदी है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता और शहर में लंबे समय से अनसुलझी बंदर समस्या पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); राजधानी शिमला में बंदरों का आतंक एक बार फिर जानलेवा साबित हुआ है। मॉल रोड और लोअर बाज़ार में कोमर कंपनी से संबद्ध 71 वर्षीय मधु कोमर का आज 29 सितम्बर सुबह 11 बजे आईजीएमसी शिमला में निधन हो गया। उनकी मौत ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे शहर को गहरे शोक में डाल दिया है और साथ ही प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

18 सितम्बर को मधु कोमर पर अचानक एक बंदर ने हमला कर दिया था। हमले से वह सहम गईं और घबराकर गिर पड़ीं। इस हादसे में उनके कॉलर बोन में हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया। उस दिन से ही उनकी सेहत पर गहरा असर पड़ा और उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया।
इसके बाद 27 सितम्बर को उन्हें अचानक कार्डियक अरेस्ट आया। परिजनों ने तुरंत उन्हें आईजीएमसी शिमला के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने सीपीआर कर उनकी जान बचाने की हरसंभव कोशिश की और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद दो दिन तक गंभीर हालत में रहने के बाद 29 सितम्बर को सुबह 11 बजे उनका निधन हो गया।

मधु कोमर का जाना न केवल उनके परिवार के लिए बड़ी क्षति है, बल्कि शहर के व्यापारी समुदाय और परिचितों के लिए भी गहरा सदमा है। उन्हें एक मिलनसार, संघर्षशील और समाजसेवी महिला के रूप में याद किया जा रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर शिमला में बंदरों और आवारा कुतों की गंभीर समस्या को उजागर कर दिया है। स्थानीय नागरिक लंबे समय से नगर निगम और प्रशासन से समाधान की मांग कर रहे हैं, लेकिन ठोस कदम अब तक नहीं उठाए गए। लोगों का कहना है कि राजधानी जैसी जगह पर सड़कों पर चलना बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए दिन-ब-दिन असुरक्षित होता जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मौत केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। अगर अब भी प्रशासन नहीं चेता और स्थायी समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाए, तो ऐसे हादसे आगे भी हो सकते हैं।
मधु कोमर की मौत केवल एक परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए चेतावनी है। शिमला में लंबे समय से बंदरों और आवारा कुतों की समस्या आम जनता की सुरक्षा पर गंभीर खतरा बनी हुई है। अब ज़रूरत है कि नगर निगम और प्रशासन काग़ज़ी वादों से आगे बढ़कर जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को ऐसी पीड़ा न झेलनी पड़े। यह हादसा स्पष्ट करता है कि यदि समय रहते कदम न उठाए गए तो राजधानी में आम नागरिकों की सुरक्षा पर हमेशा सवाल बना रहेगा।
