सोलन जिले के सेरीघाट में स्थित प्राचीन धार वाले देवता मंदिर में इस वर्ष 19 अक्तूबर 2025 (ज्येष्ठ रविवार) को कार्तिक मास का पारंपरिक मेला बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह मेला केवल धार्मिक महत्व का नहीं है, बल्कि ग्रामीण संस्कृति, परंपरा और सामूहिक आस्था का जीवंत उत्सव भी है। दूर-दूर से श्रद्धालु देवता के पवित्र दरबार में अपनी नई फसल का ‘कणा’ चढ़ावा अर्पित करने और आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचेंगे, जिससे यह आयोजन क्षेत्र की सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक बन जाता है। पढ़ें विस्तार से-
सोलन (HD News): हिमाचल के सोलन जिला के सेरीघाट में स्थित प्राचीन धार वाले देवता मंदिर में इस वर्ष 19 अक्तूबर 2025 (ज्येष्ठ रविवार) को कार्तिक मास का पारंपरिक मेला बड़ी श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ आयोजित किया जाएगा। यह मेला क्षेत्र की धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और ग्राम्य एकता का जीवंत प्रतीक माना जाता है।
हर वर्ष की भांति इस बार भी दूर-दूर से श्रद्धालु धार वाले देवता के पवित्र दरबार में दर्शन हेतु पहुंचेंगे। भक्तजन अपनी नई फसल का ‘कणा’ चढ़ावा अर्पित करेंगे, जो कृतज्ञता, समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जब किसान अपनी मेहनत की पहली उपज देवता को समर्पित कर आने वाले वर्ष के लिए मंगल और उन्नति की कामना करते हैं।

मेले का सबसे प्रमुख और दिव्य आकर्षण होगा देवता का अखाड़ा, जहां देवता के कल्याणे (भक्तजन) अपनी समस्याएं, मनोकामनाएं और जीवन से जुड़े प्रश्न देवता के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। परंपरा के अनुसार, देवता अपने गुर (माध्यम) के जरिए भक्तों को मार्गदर्शन और समाधान प्रदान करते हैं। उस समय का वातावरण पूरी तरह भक्ति, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो जाता है।

मेले के दौरान विशाल भंडारे का आयोजन भी होगा, जिसमें भक्तों को प्रसाद के रूप में भोजन वितरित किया जाएगा। यह भंडारा केवल धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि भाईचारे और सामाजिक एकता का संदेश भी देता है। सभी वर्गों के लोग एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करेंगे — यही इस पर्व की सच्ची आत्मा है।

आयोजन समिति ने समस्त भक्तजनों, ग्रामवासियों और श्रद्धालुओं से सपरिवार एवं मित्रजनों सहित मेले में पहुंचने का आग्रह किया है। समिति का कहना है कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि ग्राम्य संस्कृति, परंपरा और सामूहिक श्रद्धा का पर्व है। अतः सभी भक्तजन देवता के दरबार में उपस्थित होकर नई फसल की समृद्धि, परिवार की खुशहाली और जीवन में मंगल की कामना करें।

धार वाले देवता का यह पारंपरिक मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ग्राम्य संस्कृति, सामूहिक श्रद्धा और सामाजिक एकता का भी अद्भुत उदाहरण है। मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालु अपनी नई फसल का चढ़ावा अर्पित कर न केवल धार वाले देवता के आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, बल्कि लोक संस्कृति और परंपरा की गरिमा का भी अनुभव करेंगे। यह आयोजन हर भक्त के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, आनंद और सामाजिक मेल-जोल का अवसर प्रस्तुत करता है। अतः सभी भक्तजन सपरिवार और मित्रों के साथ इस पावन मेले में उपस्थित होकर नई फसल की समृद्धि, परिवार की खुशहाली और जीवन में मंगल की कामना अवश्य करें।
