पहला दिन - मां शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से रोगों का नाश होता है। और हर संकट से मां हमें बचाती है।
दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना और इन देवी को लगाया जाता है शक्कर और पंचामृत का भोग। मां को इसका भोग लगाने से दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा
मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी को दूध या फिर मावे से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती है और जीवन में ना धन की कभी कमी आती है और ना ही वैभव की।
चौथा दिन - मां कुष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है। जिन्हे मालपुआ का भोग लगाने से समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। सिर्फ भोग ही नहीं बल्कि मालपुआ का दान भी इस दिन किया जा सकता है। इससे भी मां प्रसन्न होती हैं।
पाचवां दिन - मां स्कंदमाता
देवी स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कार्यक्षेत्र में काफी प्रगति होती है। साथ ही मां को केले का भोग लगाने से शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते हैं। विज्ञापन
छठां दिन - मां कात्यायनी
मां कात्यायनी को अगर मीठे पान का भोग लगाया जाए तो मां को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। मीठा पान मां को अर्पित करने से साधक का सौंदर्य बढ़ता है और घर में सदैव सकारात्मक माहौल बना रहता है।
सातवां दिन - मां कालरात्रि
इस दिन कालरात्रि देवी को गुड़ या गुड़ से बनी चीज़ों का भोग लगाए। इससे मां हमें तमाम तरह के रोगों से बचाती है।
आठवां दिन - देवी महागौरी
आठवां दिन महागौरी की उपासना का दिन है।इस दिन मां को नारियल का भोग लगाया जाता है. जिससे मन की हर इच्छा पूरी होती है और व्यक्ति को आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
नौवां दिन - मां सिद्धिदात्री
इस दिन नवरात्रि का समापन होता है। और इस दिन माता रानी को लगाया जाता है हलवा पूरी और चने का भोग। मां रूपी नौ बाल कन्याओं को घर बुलाया जाता है और फिर पूरे प्यार और आदर के साथ उन्हें पूजा जाता है, भोजन कराया जाता है। जिससे मां प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं।