अब पंचायतों में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी जनप्रतिनिधि ठेकेदारी में संलिप्त होंगे या अपने परिवार व मित्रों व सम्बंधियों को लाभ पहुंचाएंगे, उन्हें सीधे चुनाव लड़ने से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। विधानसभा में मंगलवार को पारित हुए हिमाचल प्रदेश पंचायतीराज संशोधन विधेयक ने भ्रष्ट नेताओं के लिए पंचायत राजनीति के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद कर दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायतों में पारदर्शिता और ईमानदारी को मजबूती देने के लिए बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को विधानसभा ने हिमाचल प्रदेश पंचायतीराज संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के तहत अब भ्रष्टाचार या ठेकेदारी में संलिप्त जन प्रतिनिधि पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित रहेंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कहा कि भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए प्रधान या प्रतिनिधियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। अगर कोई प्रधान पंचायतों में ठेके लेता है या अपने परिवार को ठेके दिलाता है, और शिकायत पर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो उसे चुनाव लड़ने से रोका जाएगा।

संशोधित विधेयक में पंचायतों को और अधिक शक्तियां दी गई हैं। पहले पंचायतों को 2, 000 रुपये तक के मामलों की सुनवाई का अधिकार था, जिसे अब बढ़ाकर 25, 000 रुपये तक कर दिया गया है। साथ ही, जिन व्यक्तियों के नाम दो-दो ग्राम सभाओं की समितियों में दर्ज थे, उन्हें अब केवल एक ही जगह शामिल किया जाएगा। ग्राम सभा बुलाने का अधिकार अब पंचायत निदेशक को भी प्रदान किया गया है।
विधानसभा में यह विधेयक ग्रामीण विकास और पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अनुपस्थिति में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने प्रस्तुत किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इस संशोधन से पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। सरकार का यह कदम ईमानदार जनप्रतिनिधियों और जनता दोनों के लिए राहतभरा साबित होगा।
हिमाचल सरकार का यह कड़ा फैसला राज्य में पंचायत चुनावों की पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। भ्रष्ट नेताओं को चुनावी मैदान से हमेशा के लिए बाहर रखने का निर्णय न केवल जनहित में है, बल्कि इससे स्थानीय प्रशासन में जवाबदेही और जनता का विश्वास भी बढ़ेगा। यह नीति स्पष्ट संदेश देती है कि सत्ता में बने रहना केवल जनता की सेवा और नियमों का पालन करने वालों के लिए ही संभव है, और भ्रष्टाचार पर कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं होगा। इससे हिमाचल में लोकतंत्र और ग्रामीण विकास की नींव और मजबूत होगी।