हिमाचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन (HPEA) ने एच.पी.एस.ई.बी.एल. प्रबंधन को कड़े शब्दों में आड़े हाथ लिया है। एसोसिएशन का कहना है कि केलांग के वरिष्ठ अधिशाषी अभियंता विजय कुमार ठाकुर को बिना निष्पक्ष जांच के निलंबित करना सरासर अन्याय और मनमानी है। HPEA ने इसे मेहनती और ईमानदार इंजीनियरों के साथ खुली ज्यादती बताते हुए निलंबन तुरंत रद्द करने की मांग की है। पढ़ें विस्तार से..
आपदा में जनता को राहत देने वाले अभियंता पर कार्रवाई को बताया अन्यायपूर्ण, HPEA बोला– “यह मनोबल तोड़ने की साजिश”
शिमला: (HD News) हिमाचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन (HPEA) ने एच.पी.एस.ई.बी.एल. प्रबंधन को कटघरे में खड़ा करते हुए वरिष्ठ अधिशाषी अभियंता (Sr.Xen) विजय कुमार ठाकुर, केलांग का निलंबन “ग़ैर-न्यायसंगत, मनमाना और मनोबल तोड़ने वाला कदम” करार दिया है। एसोसिएशन का कहना है कि तथाकथित दुर्व्यवहार के आधार पर बिना किसी निष्पक्ष जांच के उठाया गया यह कदम न केवल संबंधित अधिकारी की छवि खराब करता है बल्कि पूरे इंजीनियरिंग वर्ग का अपमान है।
अवकाश का पूरा रिकॉर्ड नज़रअंदाज़
HPEA ने कड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि प्रबंधन ने तथ्यों की पूरी तरह अनदेखी की है। विजय कुमार ठाकुर ने 2 जुलाई 2025 को विधिवत अवकाश का आवेदन किया, जिसे 4 अगस्त को मंज़ूरी दी गई। 11 अगस्त को उपायुक्त को सूचित करने के बाद उन्होंने 18 अगस्त से अवकाश ग्रहण किया। यह अवकाश प्राकृतिक आपदा से बहुत पहले का था।
आपदा आने के बाद, प्रबंधन के आदेश पर अभियंता ने 28 अगस्त को तुरंत कार्यभार संभाला और दिन-रात जुटकर बिजली आपूर्ति बहाल की। इसके बावजूद, उन्हें बलि का बकरा बनाकर निलंबित कर दिया गया।

अपमान और कार्रवाई पर गंभीर सवाल
एसोसिएशन ने खुलासा किया है कि अभियंता ने अपने निवेदन में आरोप लगाया है कि उन्हें उपायुक्त द्वारा सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। यह गंभीर मामला जांच का विषय था, लेकिन प्रबंधन ने जांच के बजाय सीधे निलंबन का हथौड़ा चला दिया।
इंजीनियरों का मनोबल तोड़ने की कोशिश
HPEA ने तल्ख लहज़े में कहा कि प्रदेश के इंजीनियर और कर्मचारी जान जोखिम में डालकर आपदा के बीच बिजली बहाल करने में लगे रहते हैं। ऐसे समय में एक ईमानदार और मेहनती अभियंता को बिना जाँच के निलंबित करना, पूरे कार्यबल का हौसला तोड़ने और उनकी निष्ठा पर चोट करने के बराबर है।
सरकार से दो-टूक मांग
एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर इस अन्यायपूर्ण निलंबन को तुरंत प्रभाव से रद्द नहीं किया गया, तो इसे अभियंताओं के साथ खुली ज्यादती और मनोबल गिराने का षड्यंत्र माना जाएगा। HPEA ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार और प्रबंधन को यह कदम वापस लेना ही होगा, ताकि अभियंता बिना भय के, पूरी ताक़त और समर्पण से जनता की सेवा जारी रख सकें।
हिमाचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना है कि आपदा जैसी विकट परिस्थितियों में अभियंताओं को सज़ा नहीं, बल्कि सम्मान मिलना चाहिए। जब पूरा कार्यबल दिन-रात जुटकर बिजली बहाल करने में लगा है, ऐसे समय में बिना जांच के वरिष्ठ अभियंता का निलंबन पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है। एसोसिएशन ने साफ किया है कि यह कदम न केवल अभियंताओं का मनोबल गिराता है बल्कि जनता के हितों को भी नुकसान पहुंचाता है। अब गेंद सरकार और प्रबंधन के पाले में है या तो अन्यायपूर्ण निलंबन तुरंत रद्द किया जाए, या फिर अभियंता वर्ग का असंतोष और अविश्वास झेलने के लिए तैयार रहा जाए।