अर्की की ग्राम पंचायत जघून से एम्स तक जाने वाले रोड की बदहाल स्थिति ने ग्रामीणों का धैर्य तोड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले पांच सालों से सड़क की मरम्मत नहीं हुई है, गड्ढों में पानी भर जाता है और आवागमन खतरनाक हो गया है। सड़क की खस्ता हालत के चलते कई वाहन चालकों की जान तक जोखिम में पड़ चुकी है। अब ग्रामीण खुलेआम सवाल उठा रहे हैं कि इस सड़क की देखभाल की जिम्मेदारी आखिर किसकी है ? पढ़ें विस्तार से..
अर्की/चौरंटू/शीलघाट : चौरंटू-शीलघाट रोड की बदहाल स्थिति से ग्रामीणों का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा है। यह सड़क क्षेत्र की मुख्य जीवनरेखा है, लेकिन लंबे समय से इसकी मरम्मत नहीं हुई। रोजाना आवाजाही करने वाले लोगों को टूटी-फूटी सड़क से गुजरना किसी सजा से कम नहीं लगता। अब सवाल यह उठ रहा है कि सड़क की यह दुर्दशा आखिर किसकी जिम्मेदारी है विभाग की या पंचायत प्रतिनिधियों की ?
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर पर चुने गए प्रतिनिधि-वार्ड मेम्बर, उपप्रधान और प्रधान के पास जनता की समस्याओं को विभाग तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन इस मामले में पंचायत की भूमिका बिल्कुल नदारद रही है।
लोगों ने तीखे शब्दों में कहा कि “जनता खुद जाकर पीडब्ल्यूडी को क्यों बताए कि सड़क खराब है ? प्रतिनिधि आखिर किसलिए चुने जाते हैं ? जब सड़क सबकी है तो समस्या उठाने की जिम्मेदारी भी प्रतिनिधियों की बनती है।”

इस मुद्दे पर वरिष्ठ नागरिकों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की। सड़क की दुर्दशा पर आवाज उठाने वाले एक बुजुर्ग का वीडियो सामने आया तो कुछ लोगों ने इसे मजाक बनाने की कोशिश कही।
वहीं ग्रामीण हेम चंद ने स्पष्ट कहा कि सड़क सार्वजनिक है और इसमें सभी का आना-जाना होता है। “गांव में सरपंच और पंचायत इसलिए चुनी जाती है कि वह जनता की समस्याएं सुने और उन्हें प्रशासन तक पहुंचाए। लेकिन हकीकत यह है कि वर्षों से सड़क टूटी पड़ी है और अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”
दूसरी ओर, ग्राम पंचायत उपप्रधान कली राम ने विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पंचायत की ओर से कई बार पीडब्ल्यूडी को समस्या बताई गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने जनता को इकट्ठा करने की बात करने पर कहा कि लोग खुद आगे नहीं आते और सारी जिम्मेदारी प्रधान पर डाल देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधान केवल प्रशासन को अवगत करा सकता है, अगर प्रशासन काम नहीं करता तो इसमें प्रधान का कोई दोष नहीं है। उपप्रधान ने पत्रकारों से भी अपील की कि वे अपने स्तर पर सड़कों की समस्याएं उठाएं ताकि ऊपर तक असर पहुंचे।

ग्रामीणों का कहना है कि अब धैर्य जवाब दे रहा है। सिर्फ विभाग को दोष देकर पंचायत अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। अगर पंचायत ने सच में विभाग को लिखित शिकायतें भेजी हैं तो उनकी प्रतियां जनता के सामने रखी जाएं, ताकि यह साबित हो सके कि गलती कहां पर है - पंचायत की या विभाग की।
चौरंटू-शीलघाट रोड की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पंचायत और विभाग दोनों को जनता की मांगों के प्रति जवाबदेह बनना होगा। ये सर्वविदित है कि सड़क मार्गों का मुरम्मत कार्य PWD विभाग का होता है लेकिन सड़क मुरम्मत की समस्या को विभाग के समक्ष लिखित में ले जाना व फॉलो-अप करना पंचायत का दायित्व है। पंचायत को समय रहते सड़क की स्थिति को लेकर ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर, संबंधित विभाग के मंत्री तक शिकायत भेजनी चाहिए। अगर लिखित शिकायतों और प्रस्तावों के बावजूद मरम्मत कार्य तुरंत शुरू नहीं हुआ, तो ग्रामीण अपने हक के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे। यह सिर्फ सड़क की समस्या नहीं, बल्कि प्रशासन और जनता के बीच जिम्मेदारी और जवाबदेही का स्पष्ट आईना है। अब या तो तत्काल कार्रवाई होगी, या फिर जनता अपनी आवाज़ को बुलंद करने से पीछे नहीं हटेगी।