सोलन में वित्तीय अनुशासन को चुनौती देने वाले बड़े मामले में पुलिस ने निर्णायक कार्रवाई की है। कहीं न कहीं लाखों-करोड़ों के ऋण न चुकाने वाले डिफॉल्टरों के खिलाफ प्रशासन सख्त हो गया है, और इसी कड़ी में सोलन के 71 वर्षीय कारोबारी रविंदर नाथ को गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी बघाट बैंक से लिए गए ₹3.49 करोड़ के व्यापारिक ऋण की अदायगी न करने और अदालत के आदेशों की अवहेलना के बाद की गई है। इस कदम को बैंकिंग प्रणाली और निवेशकों के लिए सख्त संदेश माना जा रहा है कि बड़े वित्तीय डिफॉल्टर अब कानूनी कार्रवाई से बच नहीं सकते।
सोलन (HD News): सोलन पुलिस ने करोड़ों रुपये के ऋण घोटाले जैसे एक बड़े मामले में निर्णायक कार्रवाई करते हुए ₹3.49 करोड़ रुपये का बकाया लोन न चुकाने वाले डिफॉल्टर को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान रविंदर नाथ (उम्र 71 वर्ष), पुत्र श्री भगत राम, निवासी गाँव व डाकखाना बीशा, तहसील कंडाघाट, जिला सोलन (हि.प्र.) के रूप में हुई है। यह गिरफ्तारी Court of Collector-cum-Assistant Registrar, Co-operative Societies, Solan के आदेश पर की गई।

सूत्रों के अनुसार, आरोपी रविंदर नाथ ने बघाट बैंक सोलन से व्यापारिक उद्देश्य (Business Purpose) के लिए भारी भरकम ऋण लिया था। लेकिन वह निर्धारित अवधि के भीतर ऋण की अदायगी करने में विफल रहा। लगातार भुगतान न करने और ब्याज सहित बढ़ती देनदारी के चलते बैंक ने उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि ब्याज और मूल राशि मिलाकर उसकी कुल देनदारी ₹3, 49, 26, 957/- रुपये तक पहुँच गई थी।
ऋण की अदायगी न करने के चलते बैंक ने मामला सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समितियाँ सोलन की अदालत में दायर किया। कोर्ट द्वारा आरोपी को कई बार नोटिस जारी किए गए, परंतु वह लगातार पेशी से बचता रहा। न्यायालय में बार-बार अनुपस्थित रहने पर अंततः दिनांक 17 अक्तूबर 2025 को अदालत ने लैंड रेवेन्यू एक्ट, 1954 की धारा 75(A) के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

अदालती आदेशों की अनुपालना करते हुए दिनांक 24 अक्तूबर 2025 को पुलिस थाना कंडाघाट की टीम ने आरोपी को उसके निवास क्षेत्र से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद उसे सहायक पंजीयक सभाएँ सोलन की अदालत में पेश किया जा रहा है, जहाँ आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
बघाट बैंक से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी ने बैंक से व्यवसायिक विस्तार के लिए ऋण लिया था, लेकिन कई बार नोटिस देने और पुनर्भुगतान के अवसर प्रदान करने के बावजूद उसने कोई सकारात्मक पहल नहीं की। अंततः बैंक को कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना पड़ा।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई न केवल बैंकिंग संस्थानों की साख को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ऐसे डिफॉल्टरों के लिए भी एक सख्त चेतावनी है जो बड़े ऋण लेकर चुकाने से बचते हैं। ₹3.49 करोड़ जैसी भारी रकम का निपटारा न होना न केवल बैंकिंग प्रणाली के लिए चिंता का विषय था बल्कि अन्य जमाकर्ताओं के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा था।

इस मामले को सोलन जिला प्रशासन और पुलिस की संवेदनशील और निर्णायक कार्रवाई माना जा रहा है। यह कदम प्रदेश में वित्तीय अनुशासन और सहकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता को बनाए रखने की दिशा में एक ठोस उदाहरण पेश करता है।
Disclaimer: यह रिपोर्ट केवल सूचना और जनजागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। इसमें उल्लिखित विवरण संबंधित विभागों, बैंक स्रोतों और पुलिस अभिलेखों से प्राप्त जानकारी पर आधारित हैं। हिमदर्शन डॉट कॉम तथ्यों की सत्यता की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता।